January 27, 2009

गणतंत्र दिवस पर तिरंगे का अपमान - समयावधि पश्चात भी नहीं उतारा गया तिरंगा

<><><>(कमल सोनी)<><><> मल्हारगढ़ मंदसौर में भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के नजदीक भाजपा का झंडा फहराए जाने से उपजा विवाद थमता इससे पूर्व ही रतलाम में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का अपमान का मामला प्रकाश में आ गया गणतंत्र दिवस पर जहां पूरा देश राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को सलामी दे रहा है वहीं तिरंगे के अपमान करने वालों के भी कमी नहीं है जिस तिरंगे की आन बान शान के लिए हमारे हजारों जवानो ने खुद को कुर्बान कर दिया आज फिर उसी तिरंगे को अपमानित कर राष्ट्रीय पर्व को शर्मसार कर दिया गया तिरंगे के अपमान के अकेले रतलाम में ही दो मामले सामने आये हैं
पहला मामला रतलाम डिस्ट्रिक्ट कोर्ट का है जहां शाम हो जाने के बाद भी सम्मान पूर्वक राष्ट्रीय ध्वज नहीं उतारा गया लाइट्स ओन हो चुकी थी और सूर्यास्त के बाद भी तिरंगा लहरा रहा था तथा ख़ास बात तो यह है कि जिस तिरंगे को सुबह गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान फहराया गया था वह नहीं उतारा गया एक निजी समाचार चेनल के संवाददाता को पूरे घटना क्रम का जायजा लेते देखा गया तो चपरासी ने आनन् फानन में न्यायालय के इमारत पर प्रतिदिन फहराया जाने वाला राष्ट्रीय ध्वज उतार लिया जबकि गणतंत्र दिवस के समारोह में फहराया गया तिरंगा बाद में बिना किसी सम्मान के एक साधारण कपडे की तरह ही उतारा गया
रतलाम जिले का ही दूसरा मामला जो है वह है जिला कांग्रेस कांग्रेस कमेटी (ग्रामीण) कार्यालय का जहाँ राष्ट्रीय ध्वज, ध्वज दंड पर न फहराकर एक बांस पर ही फहरा दिया गया इतना ही नहीं शाम को करीब सात बजे इसे ऑफिस के मकान मालिक के लड़के ने बड़े ही अपमानित ढुंग से उतारा
क्या कहती है ध्वज संहिता ? :- ध्वज संहिता के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा सूर्योदय पूर्व फहराया नहीं जा सकता और साथ ही उसे सूर्यास्त पूर्व उतारा जाना चाहिए वह भी पूरे गार्ड ऑफ़ ओनर और पूरे राष्ट्रीय सम्मान के साथ लेकिन शासकीय कार्यालयों में इसे महज़ एक दैनिक दिनचर्या का सामान्य सा काम या फिर महज़ एक औपचारिकता समझ कर कर दिया जाता है
बहरहाल राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का यह पहला मामला नहीं है इससे पूर्व भी राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के कई मामले प्रकाश में आये हैं ख़ास तौर पर जब गणतंत्र दिवस या फिर स्वतन्त्रता दिवस के शुभ अवसर हो तो ऐसे मामले राष्ट्र के गरिमा को भी फीका करते हैं ऐसे मामलों में यह भी प्रतीत होता है जैसे कि राष्ट्रीय पर्व पर महज खुद को देशभक्त दिखाने का खोखला अभिनय करने का कोई प्रयास किया गया हो लेकिन गौर करने के बात तो यह है राष्ट्र और आमजन के विकास के बात करने वाले जब हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के ही सम्मान के प्रति समर्पित नहीं हो सकते तो देश के संविधान और राष्ट्र के विकास के प्रति अपना कितना समर्पण भाव रखते होंगे

2 comments:

hem pandey said...

' राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का यह पहला मामला नहीं है इससे पूर्व भी राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के कई मामले प्रकाश में आये हैं ख़ास तौर पर जब गणतंत्र दिवस या फिर स्वतन्त्रता दिवस के शुभ अवसर हो तो ऐसे मामले राष्ट्र के गरिमा को भी फीका करते हैं'
-ऐसे समाचार भविष्य में भी सुनने को मिलेंगे, क्योंकि इनमें सुधार के लिए हम गंभीर नहीं हैं.

विष्णु बैरागी said...

निष्‍ठा जब प्रदर्शन में बदलती हैं और 'होने' के बजाय 'दिखना' जब जरूरी हो जाए तब ऐसा ही होता है।
हम देश के लिए खूर देने की बात करते हैं किन्‍तु हमारे खून में देश तो है ही नहीं।।