January 9, 2009

मध्यप्रदेश में गहराया बिजली संकट

<><><>(कमल सोनी)<><><> मध्यप्रदेश में बिजली संकट दिन बी दिन गहराता ही जा रहा है यही वजह है कि विधुत मंडल को अघोषित कटौती करनी पड़ रही है प्रदेश में बढ़ते बिजली संकट के चलते शिवराज सरकार की मुश्किलें बढ़ गईं हैं प्रदेश में बिजली संकट के आसार तो पहले ही नज़र आ रहे थे लेकिन इसका स्वरुप इतना भयावह होगा इसका अंदाजा नहीं था अघोषित बिजली कटौती का यह आलम हैं कि प्रदेश के गाँवों में प्रतिदिन २० - २० घंटे बिजली की कटौती की जा रही है दूसरी और अघोषित बिजली कटौती से शहरों में भी कामकाज प्रभावित हो रहा है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मांग और आपूर्ति में २ हज़ार मेगावाट का अन्तर आ गया है विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र ३०० करोड़ की बिजली सरकार पहले ही खरीद चुकी थी लेकिन अब उसके लिए और बिजली खरीद पाना मुश्किल हो रहा है विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की बिजली खरीदने की रणनीति तो चल गई लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव तक वे इसे नहीं चला पा रहे हैं दूसरे और प्रदेश के बिजली उत्पादन संयंत्र भी अपनी पूरी क्षमता से बिजली उत्पादन नही कर पा रहे हैं लगातार हो रही अघोषित कटौती से आम जनमानस में रोष व्याप्त होने लगा है राजनितिक गलियारों में तो यह भी सुगबुगाहट है कि आगामी लोकसभा चुनाव में बिजली मुद्दा बीजेपी को नुक्सान पहुचायेगा बिजली संकट से बीजेपी संगठन, विधायकों और सांसदों में भय व्याप्त है क्योंकि संगठन में आगामी लोकसभा चुनाव में उन पर ही जीत की जिम्मेदारी सौपी है लेकिन बीजेपी संगठन, विधायक और सांसद कब तक इस समस्या से लोगों का ध्यान बटा पाएंगे यह उनके लिए एक बड़ी चुनौती है

2 comments:

Udan Tashtari said...

बिजली समस्या विकट से विकटतम होती जा रही है.

विष्णु बैरागी said...

2003 के विधान सभा चुनावों के समय ही इन्‍हें पता था कि यह समस्‍या 'बोतल से बाहर निकला जिन्‍न' है। लेकिन फिर भी वादे किए। अब वे ही भारी पड रहे हैं।
लोगों को विश्‍वास में लेकर बात की जाए तो लोग सहायता करते हैं। लेकिन सबसे पहले नेताओं को अपना आचरण सुधारना पडेगा। उन्‍हें बिजली की फिजूलखर्ची बन्‍द करनी पडेगी-सचमुच में।