<><><>(कमल सोनी)<><><> हमारी दैनिक दिनचर्या में व्यायाम बेहद आवश्यक है चाहे परंपरागत हो या आधुनिक, रोजाना व्यायाम हमारे तन और मन दोनों को स्फूर्ती प्रदान करता है आज हम बात कर रहे हैं सूर्य नमस्कार की योग हमारी संस्कृति की महत्वपूर्ण धरोहर है और एक प्राचीन विद्या भी योग के माध्यम से तन, मन और आत्मा की शक्तियों का समन्वय कर ख़ुद को चरित्रवान बनाया जा सकता है योग के माध्यम से व्यक्ति अपने मन पर नियंत्रण कर स्वस्थ्य शरीर के साथ अपने उत्तरदायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन कर पाता है सूर्य नमस्कार भारतीय योग का का सबसे अहम् हिस्सा है
वास्तव में सूर्यनमस्कार विभिन्न आसनों का समन्वय है साथ ही भारतीय योग परम्परा का अभिन्न अंग भी सूर्य नमस्कार विभिन्न आसन, मुद्रा और प्राणायाम का समन्वय है जो हमारे शारीरिक और मानसिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है प्रातः काल सूर्य नमस्कार करने से शरीर के सभी अंगों का पूरा व्यायाम हो जाता है इसमें सूर्य की ऊर्जा का संचार होता है जिससे तन और मन शुद्धीकरण होता है सूर्य नमस्कार तन, मन और वाणी से की गई सूर्य उपासना और प्रातः कालीन स्वागत है इससे सूर्य की ऊर्जा का शरीर में संचार होता है तथा शरीर को आवश्यक विटामिन डी की प्राप्ति भी होती है वैज्ञानिकों ने भी अलग अलग शोधों के माध्यम से सूर्य नमस्कार के लाभों की पुष्टि की है
क्या है सूर्य नमस्कार ? :- प्रातः काल सूर्योदय के वक्त सूर्य नमस्कार तन, मन, वाणी से सूर्य का स्वागत है सूर्य नमस्कार के दो आधुनिक पहलू हैं पहला सांघिक सूर्य नमस्कार और दूसरा संगीत के साथ सूर्य नमस्कार सूर्य नमस्कार दोनों ही पहलुओं में बेहद लाभकारी है सरल उपासना और सौम्य संतुलित व्यायाम सूर्य नमस्कार की प्रमुख विशेषता है सूर्य नमस्कार सात आसनों का समुच्चय है
<1> प्रार्थना और मुद्रा
<2> हस्त उत्तानासन
<3> पादहस्तासन
<4> अश्व संचालनासन
<5> पर्वताआसन
<6> आष्टांग नमस्कार
<7> भुजंगासन
क्या हैं इसके फायदे ? :- सूर्य नमस्कार १२ स्थितियों से मिलकर बना है जिन्हें करने से बेहद लाभ प्राप्त होते हैं
<1> व्यायाम की तैयारियों के रूप में एकाग्र एवं शांत अवस्था लाता है
<2> अमाशय की अतिरिक्त चर्बी को हटाता है और पाचन को सुधारता है तथा भुजाओं और कन्धों की मांसपेशियों का व्यायाम होता है
<3> पेट तथा अमाशय के दोषों को नष्ट करता है कब्ज़ हटाने में सहायक है रीढ़ को लचीला बनाता है तथा रक्त संचार में तेज़ी लाता है
<4> अमाशय के अंगों की मालिश कर कार्यप्रणाली को बेहतर बनाता है पैरों की मांसपेशियों को शक्ति देता है
<5> भुजाओं तथा पैरों स्नायुओं की मांसपेशियों को ताकत देता है तथा सीने को विकसित करता है
<6> अमाशय के अंगों से जामे हुए रक्त को हटाकर नए रक्त का संचार करता है पेट के सभी रोगों के निदान लिए बेहद लाभकारी है
<7> रीढ़ के स्नायुओं का दबाव सामान्य बनाता है तथा ताजे रक्त का संचार करता है
२१ जनवरी को सामूहिक सूर्य नमस्कार का आयोजन :- सूर्य नमस्कार के इन्ही फायदों के मद्देनज़र मध्यप्रदेश के सभी शिक्षण संस्थाओं में हर वर्ष सामूहिक सूर्य नमस्कार का आयोजन किया जाता है गौरतलब है की गत वर १२ जनवरी २००७ को स्वामी विवेकानद जयंती के शुभ अवसर पर पूरे प्रदेश में आयोजित सामूहिक सूर्य नमस्कार में एक करोड़ छात्र छात्राओं ने भाग लिया था इस साल २१ जनवरी को इससे भी अधिक संख्या में छात्र छात्राओं के इस महाआयोजन में हिस्सा लेने की संभावना है
आज के युग में हम अपने स्वस्थ्य के प्रति और अधिक सचेत हुए हैं जिसके लिए हम स्वयं को स्वस्थ्य रखने के लिए विभिन्न उपायों को अपना भी रहे हैं इन सभी उपायों में सूर्य नमस्कार सर्वोपरी है वर्त्तमान परिप्रेक्ष्य में जहाँ हमें शारीरिक और मानसिक दोनों श्रम करने पड़ते हैं ऐसे में तन और मन के सम्पूर्ण व्यायाम के लिए सूर्य नमस्कार बेहद लाभकारी है
वास्तव में सूर्यनमस्कार विभिन्न आसनों का समन्वय है साथ ही भारतीय योग परम्परा का अभिन्न अंग भी सूर्य नमस्कार विभिन्न आसन, मुद्रा और प्राणायाम का समन्वय है जो हमारे शारीरिक और मानसिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है प्रातः काल सूर्य नमस्कार करने से शरीर के सभी अंगों का पूरा व्यायाम हो जाता है इसमें सूर्य की ऊर्जा का संचार होता है जिससे तन और मन शुद्धीकरण होता है सूर्य नमस्कार तन, मन और वाणी से की गई सूर्य उपासना और प्रातः कालीन स्वागत है इससे सूर्य की ऊर्जा का शरीर में संचार होता है तथा शरीर को आवश्यक विटामिन डी की प्राप्ति भी होती है वैज्ञानिकों ने भी अलग अलग शोधों के माध्यम से सूर्य नमस्कार के लाभों की पुष्टि की है
क्या है सूर्य नमस्कार ? :- प्रातः काल सूर्योदय के वक्त सूर्य नमस्कार तन, मन, वाणी से सूर्य का स्वागत है सूर्य नमस्कार के दो आधुनिक पहलू हैं पहला सांघिक सूर्य नमस्कार और दूसरा संगीत के साथ सूर्य नमस्कार सूर्य नमस्कार दोनों ही पहलुओं में बेहद लाभकारी है सरल उपासना और सौम्य संतुलित व्यायाम सूर्य नमस्कार की प्रमुख विशेषता है सूर्य नमस्कार सात आसनों का समुच्चय है
<1> प्रार्थना और मुद्रा
<2> हस्त उत्तानासन
<3> पादहस्तासन
<4> अश्व संचालनासन
<5> पर्वताआसन
<6> आष्टांग नमस्कार
<7> भुजंगासन
क्या हैं इसके फायदे ? :- सूर्य नमस्कार १२ स्थितियों से मिलकर बना है जिन्हें करने से बेहद लाभ प्राप्त होते हैं
<1> व्यायाम की तैयारियों के रूप में एकाग्र एवं शांत अवस्था लाता है
<2> अमाशय की अतिरिक्त चर्बी को हटाता है और पाचन को सुधारता है तथा भुजाओं और कन्धों की मांसपेशियों का व्यायाम होता है
<3> पेट तथा अमाशय के दोषों को नष्ट करता है कब्ज़ हटाने में सहायक है रीढ़ को लचीला बनाता है तथा रक्त संचार में तेज़ी लाता है
<4> अमाशय के अंगों की मालिश कर कार्यप्रणाली को बेहतर बनाता है पैरों की मांसपेशियों को शक्ति देता है
<5> भुजाओं तथा पैरों स्नायुओं की मांसपेशियों को ताकत देता है तथा सीने को विकसित करता है
<6> अमाशय के अंगों से जामे हुए रक्त को हटाकर नए रक्त का संचार करता है पेट के सभी रोगों के निदान लिए बेहद लाभकारी है
<7> रीढ़ के स्नायुओं का दबाव सामान्य बनाता है तथा ताजे रक्त का संचार करता है
२१ जनवरी को सामूहिक सूर्य नमस्कार का आयोजन :- सूर्य नमस्कार के इन्ही फायदों के मद्देनज़र मध्यप्रदेश के सभी शिक्षण संस्थाओं में हर वर्ष सामूहिक सूर्य नमस्कार का आयोजन किया जाता है गौरतलब है की गत वर १२ जनवरी २००७ को स्वामी विवेकानद जयंती के शुभ अवसर पर पूरे प्रदेश में आयोजित सामूहिक सूर्य नमस्कार में एक करोड़ छात्र छात्राओं ने भाग लिया था इस साल २१ जनवरी को इससे भी अधिक संख्या में छात्र छात्राओं के इस महाआयोजन में हिस्सा लेने की संभावना है
आज के युग में हम अपने स्वस्थ्य के प्रति और अधिक सचेत हुए हैं जिसके लिए हम स्वयं को स्वस्थ्य रखने के लिए विभिन्न उपायों को अपना भी रहे हैं इन सभी उपायों में सूर्य नमस्कार सर्वोपरी है वर्त्तमान परिप्रेक्ष्य में जहाँ हमें शारीरिक और मानसिक दोनों श्रम करने पड़ते हैं ऐसे में तन और मन के सम्पूर्ण व्यायाम के लिए सूर्य नमस्कार बेहद लाभकारी है
1 comment:
अच्छी जानकारी!
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