February 19, 2010

दुष्कर्म के लिए महिलाएं भी ज़िम्मेदार - रिपोर्ट


* "द वेक अप टू रेप" रिपोर्ट पर विवाद

(कमल सोनी)>>>> दुनिया भर में आये दिन बलात्कार के कई मामले सामने आते हैं. इसीलिये बलात्कार जैसे संगीन मामलों के पीछे छिपे कारणों का आंकलन करने के लिए ब्रिटेन में एक अध्ययन के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की गई है. हाल ही में जारी यह रिपोर्ट विवादों में घिर गई है. रिपोर्ट के मुताबिक "५४ % महिलाओं का मानना है कि बलात्कार की घटना के लिए महिलाएं ही ज़िम्मेदार होती हैं" रिपोर्ट के इस खुलासे के बाद विवाद की स्थिति निर्मित हो गई है. और कई स्वयंसेवी संगठन इसका जमकर विरोध कर रहे हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बलात्कार के लिए अपराधी हे नहीं पीडिता भे ज़िम्मेदार होती हैं. वहीं इस रिपोर्ट का विरोध करने वालों का अपना तर्क है. विरोधियों ने रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा कि बलात्कार एक अपराध है. और इसके लिए महिलायें और हालात ज़िम्मेदार नहीं होते.

खास बात यह है कि जिन संगठनो ने इस रिपोर्ट के खिलाफ मोर्चा खोला है उनमें कई संगठन पुरुष प्रधान हैं. जिनका कहना है कि "रिपोर्ट सिर्फ आपत्तिजनक ही नहीं बल्कि सिरे से ख़ारिज करने लायक है" उनका यह भी कहना है कि रिपोर्ट के तथ्यों को यदि आधार बना लिया जाए तो बलात्कार की पीड़ित महिला को न्याय मिलने में बेहद मुश्किलें पैदा होंगी. कुछ महिलाओं ने भी इस रिपोर्ट पर आपति जताई है उनका कहना है कि जो पीड़ित महिला खुद यह कैसे कह सकती है कि वह भी जिम्मेदार है. हालाकि दुष्कर्म के ऐसे कई मामले भी सामने आये हैं. जिनमें पीडिता का बयान सच नहीं था. सुप्रीम कोर्ट ने भी बलात्कार के एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि इस तरह की घटनाएँ और आरोप झूठे भी हो सकते हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को 'बेनिफिट्स ऑफ डाउट' के आधार पर रिहा कर दिया था.

रिपोर्ट के मुताबिक ५४%महिलाएं मानती हैं कि दुष्कर्म के लिए महिलाएं भी ज़िम्मेदार होती हैं. तो २४ प्रतिशत महिलाओं ने माना कि छोटे और भडकाऊ कपडे तथा नशे की हालत अजनबियों को दुष्कर्म के लिए प्रेरित करता है. रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि दुष्कर्म की शिकार ५ महिलाओं में से १ महिला शर्मिन्दिगी और बदनामी के डर से रिपोर्ट नहीं लिखवाती हैं. परिणाम स्वरुप अपराधियों के हौसले और बुलंद होते हैं. रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि १३ प्रतिशत पुरुषों ने इस बात को स्वीकार किया है कि उन्होंने अपने महिला साथी के नशे के हालत का फ़ायदा उठाया है. वहीं १४% महिलाओं ने यह भी माना कि दुष्कर्म के सभी मामले सच नहीं होते. कई मामलों में द्वेष या बदला लेने की प्रवृत्ति के चलते झूठे आरोप लगाये जाते हैं. ब्रिटेन के पोर्टमैन ग्रुप ने इस रिपोर्ट के बारे में कहा है कि "दुष्कर्म की शिकार तीन में से एक महिला अत्यधिक नशे में होती है. ऐसी महिलायें नहीं जानते कि वे कहाँ और किसके साथ हैं. और वे रेप जैसी घटनाओं का शिकार होती हैं ऐसे में उन्हें भी अपराध में शामिल माना जाना चाहिए." रिपोर्ट में पारिवारिक यौन उत्पीडन के मामले में कुछ भी नहीं कहा गया है.

भारत में भी पिछले कुछ समय में बलात्कार की घटनाओं में इजाफा हुआ है. नेशनल क्राइम रिकोर्ड ब्यूरों के आंकड़ों पर नज़र डालें तो पता चलता है कि भारत में वर्ष २००७ में दुष्कर्म के २०,७३७ मामले दर्ज हुए हैं. वर्ष २००३ - २००७ के बीच बलात्कार के मामलों की संख्या में बढोत्तरी हुई है. वर्ष २००४ में ही १५% की वृद्धी दर्ज की गई. वहीं २००५ में २००३-२००४ के मुकाबले ०.७% की बढोत्तरी हुई. तथा वर्ष २००६ में ५.४% २००५ के मुकाबले में. व ७.२% २००७ में २००६ के मुकाबले वृद्धी दर्ज की गई है. बलात्कार के मामले में चौकाने वाला तथ्य यह है कि इन मामलों में मध्यप्रदेश अव्वल रहा है. मध्यप्रदेश में सर्वाधिक ३०१० मामले दर्ज हैं. जो कि पूरे भारत में दर्ज बलात्कार के मामलों से लगभग १४% से भी अधिक है.

1 comment:

ghughutibasuti said...

'बलात्कार के मामले में चौकाने वाला तथ्य यह है कि इन मामलों में मध्यप्रदेश अव्वल रहा है. मध्यप्रदेश में सर्वाधिक ३०१० मामले दर्ज हैं. जो कि पूरे भारत में दर्ज बलात्कार के मामलों से लगभग १४% से भी अधिक है.'
'कारण साफ है, यहाँ की दुष्कर्म की शिकार तीन में से एक महिला अत्यधिक नशे में होती है और छोटे और भडकाऊ कपडे पहनती हैं। छोटे और भडकाऊ कपडे और नशे की हालत अजनबियों को दुष्कर्म के लिए प्रेरित करता है.'
यह रिपोर्ट मैंने भी पढ़ी है। कम से कम यह तो बताइए कि आप क्या सोचते हैं।
घुघूती बासूती