(कमल सोनी)>>>> डीएलएफ-आईपीएल एक खेल नहीं खिलवाड है. इसका सीधा अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब आईपीएल के तीसरे संस्करण के लिए बोली लगे जा रही थी. तब किसी भी टीम ने पाकिस्तानी खिलाडियों को नहीं चुना. यकीनन इससे पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड और पाकिस्तानी खिलाडियों की बेइज्जती हुई है. दरअसल भारत पकिस्तान के बीच मौजूदा तनाव की कीमत इन पाकिस्तानी खिलाडियों को चुकानी पडी है. लेकिन एक अहम सवाल यहाँ जन्म लेता है कि जिस देश में क्रिकेट एक जूनून की तरह है. वहाँ इस खेल को सरहदों में बांधना कितना उचित है. हलाकि इस खिलवाड की कीमत सिर्फ पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड और पाकिस्तानी खिलाडियों को ही नहीं चुकानी पडी. बल्कि शाहरुख, अमिताभ, आमिर खान, समेत कई बड़ी हस्तियों को भी इसकी कीमत चुकानी पडी. जब इस खिलवाड पर राजनीति हावी हुई. जिसके बाद शिवसेना ने वोट बैंक की राजनीती करनी शुरू की. और यह सिलसिला अभी भी जारी है. चारों तरफ से आरोप प्रत्यारोपों का दौर चल रहा है. और तमाम वॉलीवुड हस्तियों को शिवसैनिकों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है.
पाकिस्तानी खिलाडियों के साथ जो कुछ भी हुआ वह कम नहीं है. भारत पकिस्तान मौजूदा तनाव के मद्देनज़र पहले पाकिस्तानी खिलाडियों से पीसीबी से अनापत्ति प्रमाण पात्र लेन को कहा गया. जब उन्होंने अनापत्ति प्रमाण पत्र ले लिया. तो उनसे सरकार से एनओसी लें. खिलाडियों के एनओसी ले लेने के बाद उनसे कहा गया कि वे भारत से वीजा ले लें. जब उन्होंने वीजा के लिए आवेदन किया तो उन्हें कहा गया कि यदि उन्हें आईपीएल में चुन लिए जाएगा तो उन्हें वीजा मिल जायेगा. जिसके बाद आईपीएल ने ११ पाकिस्तानी खिलाडियों को उन खिलाडियों की सूची में शामिल कर लिया जिनकी बोली लगाईं जानी थी. जिसके बाद बोली लगी तो सभी पाकिस्तानी खिलाड़ी इस बात का इन्तेज़ार करते रहे कि कौन उन्हें खरीदेगा. लेकिन किसी भी पाकिस्तानी खिलाड़ी पर किसी भी टीम ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. यकीनन यह पाकिस्तानी खिलाडियों के लिए ही नहीं बल्कि एक खेल के लिए भी अपमानजनक है.
बीसीसीआई और टीम मालिकों ने झाडा पल्ला :- इस पूरे घटना क्रंम के बाद जब चौतरफा आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ तो बीसीसीआई और आईपीएल टीम मालिकों ने इस विवाद से अपना पल्ला झाड लिया. बीसीसीआई और आईपीएल टीम मालिक अलग अलग तर्क दे रहे हैं. बीसीसीआई का कहना है कि आईपीएल एक अलग संस्था है. उसका बीसीसीआई से कोई लेना देना नहीं है. आईपीएल के सभी फैसले लेने के लिए वह स्वतंत्र है. दूसरा टीम मालिकों ने भी अपने को शुद्ध व्यावसायी दर्शाते हुए कहा कि भारत पाकिस्तान के मौजूदा हालत यही दर्शाते हैं कि दोनों देशों के रिश्तों का कोई भरोसा नहीं. ऐसे में वे अपनी पूंजी ऐसे खिलाडियों पर नहीं लगा सकते जो उनके लिए असमय संकट पैदा कर दें. हलकी यह सच भी है कि टेम मालिकों के लिए आईपीएल सिर्फ एक टूर्नामेंट न होकर एक धंधा है. और धंधे में भावनाओं की नहीं सिर्फ मुनाफे की जगह होती है. उन्हें किसी खिलाड़ी के जस्बात और किसी देश के अपमान से कोई मतलब नहीं. ऐसे में पाकिस्तानी क्रिकेटरों के साथ सहानुभूति के अलावा उनके पास कुछ और नहीं था. खेल मंत्री एमएस गिल ने भी आईपीएल को क्रिकेट में एक व्यापारिक आंदोलन करार देते हुए यह कह दिया कि सरकार इसमें कुछ नहीं कह सकती. हालाकि गृह मंत्री पी चिदंबरम ने अपने एक बयान में कहा था कि आईपीएल में पाकिस्तानी खिलाडियों को मौक़ा दिया जाना चाहिए था. इस कदम से क्रिकेट का नुक्सान हुआ है.
पहले से नहीं की स्थिति साफ़ :- मुबई हमलों के बाद पहले ही साफ कर दिया गया था कि पाकिस्तानी खिलाडियों की खेल पाना संभव नहीं होगा. लिहाजा बगैर पाकिस्तानी खिलाडियों के आईपीएल साउथ अफ्रिका में अपनी पूरी चमक धमक के साथ संपन्न हुआ. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. यदि आईपीएल की तरफ से पहले ही यह कह दिया जाता कि किसी भी पाकिस्तानी खिलाड़ी को आईपीएल में खेलने की अनुमति नहीं मिलेगी. तो शायद यह विवादास्पद स्थिति निर्मित नहीं होती. हलाकि पाकिस्तानी खिलाडियों के बिना अब यह तमाशा कितनी चमक धमक के साथ होगा यह देखना बेहद दिलचस्प होगा.
बहलहाल भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में पहले भी कडूआहट और मिठास का सिलसिला चलता रहा है. और आगे भी चलता रहेगा. जब कभी कोई बड़ा आतंकी हमला होता है. भारत पाकिस्तान के रिश्तों में कडूआहट आ जाती है. और समय के साथ बातचीत का दौर भी शुरू हो जाता है. फिर कभी भारत पकिस्तान मैत्री मैच खेल दोनों देशों में मधुरता लाने का प्रयास करते हैं. लेकिन फिर इन प्रयासों पर आतंकी संगठन पानी फेर देते हैं. और दोनों देशों के बीच कडूआहट आ जाती है. लेकिन दोनों देशो के बीच की इस तपिश को राजनीतिक रंग न देते हुए इसे मैदान से दूर रखा जाना चाहिए. क्योंकि अभी राष्ट्र मंडल खेलों का आयोजन होगा वहाँ भी पाकिस्तानी टीम आयेगी. इसके बाद क्रिकेट वर्ल्ड कप आयोजन भी भारत में ही होना है. इसके लिए भी पाकिस्तानी क्रिकेट टीम आयेगी. इसीलिये यह ज़रूरी है कि यदि कहीं कि आग जल रही है. तो खोखली राजनीति से प्रेरित होकर उस पर घी डालने के बजाय उस पर पानी डाला जाए तो ज़्यादा बेहतर होगा.
पाकिस्तानी खिलाडियों के साथ जो कुछ भी हुआ वह कम नहीं है. भारत पकिस्तान मौजूदा तनाव के मद्देनज़र पहले पाकिस्तानी खिलाडियों से पीसीबी से अनापत्ति प्रमाण पात्र लेन को कहा गया. जब उन्होंने अनापत्ति प्रमाण पत्र ले लिया. तो उनसे सरकार से एनओसी लें. खिलाडियों के एनओसी ले लेने के बाद उनसे कहा गया कि वे भारत से वीजा ले लें. जब उन्होंने वीजा के लिए आवेदन किया तो उन्हें कहा गया कि यदि उन्हें आईपीएल में चुन लिए जाएगा तो उन्हें वीजा मिल जायेगा. जिसके बाद आईपीएल ने ११ पाकिस्तानी खिलाडियों को उन खिलाडियों की सूची में शामिल कर लिया जिनकी बोली लगाईं जानी थी. जिसके बाद बोली लगी तो सभी पाकिस्तानी खिलाड़ी इस बात का इन्तेज़ार करते रहे कि कौन उन्हें खरीदेगा. लेकिन किसी भी पाकिस्तानी खिलाड़ी पर किसी भी टीम ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. यकीनन यह पाकिस्तानी खिलाडियों के लिए ही नहीं बल्कि एक खेल के लिए भी अपमानजनक है.
बीसीसीआई और टीम मालिकों ने झाडा पल्ला :- इस पूरे घटना क्रंम के बाद जब चौतरफा आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ तो बीसीसीआई और आईपीएल टीम मालिकों ने इस विवाद से अपना पल्ला झाड लिया. बीसीसीआई और आईपीएल टीम मालिक अलग अलग तर्क दे रहे हैं. बीसीसीआई का कहना है कि आईपीएल एक अलग संस्था है. उसका बीसीसीआई से कोई लेना देना नहीं है. आईपीएल के सभी फैसले लेने के लिए वह स्वतंत्र है. दूसरा टीम मालिकों ने भी अपने को शुद्ध व्यावसायी दर्शाते हुए कहा कि भारत पाकिस्तान के मौजूदा हालत यही दर्शाते हैं कि दोनों देशों के रिश्तों का कोई भरोसा नहीं. ऐसे में वे अपनी पूंजी ऐसे खिलाडियों पर नहीं लगा सकते जो उनके लिए असमय संकट पैदा कर दें. हलकी यह सच भी है कि टेम मालिकों के लिए आईपीएल सिर्फ एक टूर्नामेंट न होकर एक धंधा है. और धंधे में भावनाओं की नहीं सिर्फ मुनाफे की जगह होती है. उन्हें किसी खिलाड़ी के जस्बात और किसी देश के अपमान से कोई मतलब नहीं. ऐसे में पाकिस्तानी क्रिकेटरों के साथ सहानुभूति के अलावा उनके पास कुछ और नहीं था. खेल मंत्री एमएस गिल ने भी आईपीएल को क्रिकेट में एक व्यापारिक आंदोलन करार देते हुए यह कह दिया कि सरकार इसमें कुछ नहीं कह सकती. हालाकि गृह मंत्री पी चिदंबरम ने अपने एक बयान में कहा था कि आईपीएल में पाकिस्तानी खिलाडियों को मौक़ा दिया जाना चाहिए था. इस कदम से क्रिकेट का नुक्सान हुआ है.
पहले से नहीं की स्थिति साफ़ :- मुबई हमलों के बाद पहले ही साफ कर दिया गया था कि पाकिस्तानी खिलाडियों की खेल पाना संभव नहीं होगा. लिहाजा बगैर पाकिस्तानी खिलाडियों के आईपीएल साउथ अफ्रिका में अपनी पूरी चमक धमक के साथ संपन्न हुआ. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. यदि आईपीएल की तरफ से पहले ही यह कह दिया जाता कि किसी भी पाकिस्तानी खिलाड़ी को आईपीएल में खेलने की अनुमति नहीं मिलेगी. तो शायद यह विवादास्पद स्थिति निर्मित नहीं होती. हलाकि पाकिस्तानी खिलाडियों के बिना अब यह तमाशा कितनी चमक धमक के साथ होगा यह देखना बेहद दिलचस्प होगा.
बहलहाल भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में पहले भी कडूआहट और मिठास का सिलसिला चलता रहा है. और आगे भी चलता रहेगा. जब कभी कोई बड़ा आतंकी हमला होता है. भारत पाकिस्तान के रिश्तों में कडूआहट आ जाती है. और समय के साथ बातचीत का दौर भी शुरू हो जाता है. फिर कभी भारत पकिस्तान मैत्री मैच खेल दोनों देशों में मधुरता लाने का प्रयास करते हैं. लेकिन फिर इन प्रयासों पर आतंकी संगठन पानी फेर देते हैं. और दोनों देशों के बीच कडूआहट आ जाती है. लेकिन दोनों देशो के बीच की इस तपिश को राजनीतिक रंग न देते हुए इसे मैदान से दूर रखा जाना चाहिए. क्योंकि अभी राष्ट्र मंडल खेलों का आयोजन होगा वहाँ भी पाकिस्तानी टीम आयेगी. इसके बाद क्रिकेट वर्ल्ड कप आयोजन भी भारत में ही होना है. इसके लिए भी पाकिस्तानी क्रिकेट टीम आयेगी. इसीलिये यह ज़रूरी है कि यदि कहीं कि आग जल रही है. तो खोखली राजनीति से प्रेरित होकर उस पर घी डालने के बजाय उस पर पानी डाला जाए तो ज़्यादा बेहतर होगा.
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