गर्मी के मौसम में मटके का ठंडा जल मिल जाए तो क्या बात है ? बदलते दौर में आज भी मटके के पानी की ठंडक के सभी कायल हैं मटके और सुराही के ठंडे पानी में जो मज़ा है वह फ्रिज के पानी में कहाँ गर्मी के मौसम की दस्तक देते ही बाज़ारों में मटकों और सुराहियों की दुकाने भी सजाने लगी हैं जहां बदलते दौर में ठंडे पाने के लिए फ्रिज और मशीनों का प्रचलन बढा है वहीं मटकों की अहमियत भी कम नहीं हुई लेकिन इनके स्वरुप में ज़रूर परिवर्तन आ रहा है यदि आप बाज़ारों में सजी इन मटकों की दूकान पर जाएँ तो आपको स्वयं समझ आ जायेगा इन दिनों बाज़ारों में डिजाइनर मटके और सुराहियाँ ग्राहकों क लुभा रही है पानी को ठंडा रखने के लिए घरों से लेकर आफिस तक की ज़रुरत बन चुके छोटे बड़े सभी साइज़ के मटके बाज़ारों में उपलब्ध हैं लेकिन इस बार रंग बिरंगे मटके बाज़ारों की रौनक बढा रहे हैं व्यापारियों के अनुसार काले रंग के मटके ज़्यादा डिमांड में रहते हैं कुछ व्यापारियों का मानना है कि पानी को ठंडा रखने में सुराही का कोई मुकाबला नहीं साथ ही लाने ले जाने में सुविधाजनक होने के कारण इनकी बिक्री 45 से 55 प्रतिशत तक होती है ख़ास बात यह है कि बाजारों में ग्राहकों की सुविधा को देखते हुए नल लगे मटके और सुराहियाँ उपलब्ध हैं साथ ही कई मटके और सुराहियों का निर्माण अलग तरह की मिट्टी से किया जाता है ताकि पानी को ज्यादा देर तक ठंडा रखा जा सके
क्या हैं मटके के पानी के फायदे :- गर्मी के मौसम में मटके और सुराहियों के पानी पीने के बहुत फायदे हैं ख़ास बात तो यह है कि यह पानी नेचुरल ठंडा होता है साथ ही कभी भी शरीर को नुक्सान नहीं पहुचाता तेज़ धूप में घूमने के बाद यदि फ्रिज का ठंडा पानी पी लिया जाये तो यह बेहद नुक्सान करता है वहीं मटके का ठंडा पानी तन - मन को शीतलता प्रदान करता है साथ ही इस परम्परागत तरीके को इस्तेमाल करके बिजाली की बचत भी हो जाती है
4 comments:
मटके के पानी के स्वाद की तुलना भी फ्रिज के पानी से नहीं की जा सकती ... स्वास्थ्य के लिए तो बेहतर है ही।
नये मटके के पानी की सुगन्ध का भी क्या कहना।
कमल भाई ये मटके अब शहरों में नहीं मिलते है. इन के लिए गाव /कस्वो में ही जाना पड़ता है.
" wahh matko ka badla svrup bhi kam aakarshk nahi hai..."
Regards
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