February 27, 2009

बढ़ रहा है वन्य प्राणयों को गोद लेने का सिलसिला

<><><>(कमल सोनी)<><><> वन वहार राष्ट्रीय उद्यान, भोपाल में वन्य प्राणयों को गोद लेने का सिलसिला जारी है। नव वर्ष से प्रारंभ वन्य प्राणी एडाप्शन योजना के तहत मध्यप्रदेश स्टेट माइनिंग कारपोरेशन लिमिटेड, भोपाल वन विहार की मादा बाघ श्वेता को गोद लेकर प्रदेश का पहला उपक्रम बन गया है। वन विहार में मादा बाघ श्वेता एवं उद्यान में मौजूद एकमात्र रेटल (भू-रीछ) को गोद लिया गया है। इसके अलावा भोपाल निवासी जैन दंपत्ति द्वारा रेटल (भू-रीछ) को गोद लिया गया है।
मध्यप्रदेश स्टेट माइनिंग कारपोरेशन लिमिटेड, भोपाल द्वारा एक वर्ष के लये वन विहार की मादा बाघ को उसके ऊपर एक वर्ष में होने वाले व्यय की राशि एक लाख 22 हजार रुपये की प्रतपूर्ति कर गोद लया गया है। इसी प्रकार भोपाल निवासी श्रीमती संध्या एवं श्री पुष्पेन्द्र जैन द्वारा वन विहार के एकमात्र रेटल (भू-रीछ) को गोद लिया गया है। इस वन्यप्राणी पर तीन माह में होने वाले व्यय दो हजार, 400 रुपये राशिः की प्रतपूर्ति उनके द्वारा की गई है। जैन दम्म्पत्ति रेटल को गोद लेने वाले प्रथम दम्म्पत्ति हैं।
गौरतलब है कि आमजनमानस में वन्य जीवों के संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने यह योजना इसी वर्ष पहली तारीख को प्रारंभ की गई थी
कौन कौन है वन्य प्राणियों के अभिभावक :- वन विहार में रह रहे वन्य प्राणियों को गोद लेने की योजना गत एक जनवरी से शुरू हुई है। पहले ही दिन आईएएस अफसर अशोक दास की बेटी अभिनीता दास ने एक अजगर को गोद लिया था। अभिनीता देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में कानून की पढ़ाई कर रही हैं। उन्होंने इंटर्नशिप की पहली किस्त मिलने पर अजगर को गोद लिया था। इसके बाद पानीपत के राकेश गुगलानी ने ही १० जनवरी को अजगर को ही आगामी छः माह के लिए गोद लिया था इसी कड़ी में उद्योगपति गुलरेज अहमद ने वन विहार के एक बाघ को गोद लिया उन्होंने तीन महीने के लिए बाघ को गोद लिया और इसके एवज में वन विहार प्रबंधन को 36 हजार रुपए दिए । गत 28 जनवरी को भोपाल नवासी श्री मति मीना गुप्ता मीना गुप्ता एवं श्री एम.के. गुप्ता द्वारा संयुक्त रूप से विहार के एक पेंथर को गोद लिया गया है। इसके अलावा इस योजना के तहत वन विहार के मगर को महाराष्ट्र निवासी अनिल कुमार तनवाणी ने गोद लिया है। उन्होंने वन वहार के वन्यप्राणी मगर के ऊपर एक माह में होने वाले व्यय 3600 रुपये राशि की प्रतपूर्ति कर गोद लिया है।
क्या है योजना ? :- आमजनमानस में वन्य प्राणियों और प्रकृति के प्रति स्नेह और उनके संरक्षण के लिए जागरूकता बढाने के लिए वन विहार ने एक नई योजना प्रारंभ की है और वह है वनविहार में रह रहे वन्य प्राणियों को गोद लेने की योजना इस योजना के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति वन विहार में रह रहे जानवरों को गोद ले सकेगा वन विहार में बाघ, सिंह, तेंदुआ, भालू, लकड़बग्घा, भू.रीछ, सियार, मगर, घड़ियाल, अजगर, सर्प को गोद ले सकता है गोद लेने वाला व्यक्ति वार्षिक, अर्धवार्षिक, त्रैमासिक अथवा मासिक आधार पर इन्हें गोद ले सकता है वन्य प्राणियों को गोद लेने के लिए भुगतान की गई राशि को आयकर की धारा ८० जी. के तहत आयकर से पूर्णतः मुक्त रखा गया है
ये भी हैं फायदे :- वन्य प्राणी एडाप्शन योजना के तहत वन विहार में रह रहे किसी भी वन्य प्राणी को गोद लेने पर भुगतान की गई राशि आयकर की धारा 80 जी के प्रावधानों के अंतर्गत छूट के दायरे में आती है। इसके साथ ही गोद लेने वाले को हर महीने पांच बार वन विहार में अधकतम छह सदस्यों को एक वाहन के साथ निशुल्क आने की पात्रता होगी, जिससे वे अपने गोद लिए वन्यप्राणी को देख सकेंगे।
वन विहार में आयेगा सफेद शेर का जोड़ा :- भोपाल स्थित वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में सफेद शेर का एक जोड़ा उड़ीसा के नंदन कानन चिडिया घर से लाया जाएगा। इस बात की जानकारी वन, जैव विविधता एवं जैव प्रौद्योगकी, खनज संसाधन, विधी एवं विधायी कार्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री राजेन्द्र शुक्ल ने दी। उन्होंने विभाग को हिदायत दी है कि रीवा का जंगल सफेद शेर की जन्मस्थली है। वहां एक सफारी पार्क बनाया जाये। उन्होंने नंदन कानन चिडिया घर का निरिक्षण कर वन विहार के लिए सफ़ेद शेर भगत एवं शेरनी ललिता को भी देखा। ये दोनों सफेद शेर वन विहार को उपलब्ध कराने के लिए केन्द्रीय चिडिया घर प्राधिकरण से अनुमति मांगी गई है वन वहार इसके बदले जंगल से लाई गई एक शेरनी सारा एवं सियार का एक जोड़ा नंदन कानन चिडिया घर को उपलब्ध कराएगा।

3 comments:

Anonymous said...

वन्‍य प्राणियों को गोद लेने वाले सभी महानुभावों को हमारा प्रणाम।

प्रेम सागर सिंह [Prem Sagar Singh] said...

वन्य प्राणियों को गोद लेना उनके प्रति सम्मान है। आपके द्वारा दी गयी जानकारी वन्य प्राणियों का जीवन रक्षक बनेगा।

संगीता पुरी said...

अच्‍छी जानकारी उपलब्‍ध करायी आपने .... वन्‍य प्राणियों को गोद लेने की परंपरा से उनका बहुत भला हो सकता है।