<><><>(कमल सोनी)<><><> भारत में ब्रांडेड और रिफाइन तेल तथा वनस्पति घी का चलन बेहद बढ़ गया है लेकिन क्या आप जानते हैं कि खाना पकाने में इस्तेमाल होने वाले बाज़ार में उपलब्ध अनेक तेल ऐसे हैं जिनमें ट्रांस फ़ैट की मात्रा बहुत अधिक है. ट्रांस फ़ैट दिल के स्वास्थ्य के लिए घातक माना जाता है क्योंकि ये लाभदायक कॉलेस्टेरॉल की मात्रा घटा देता है. ये अध्ययन एक ग़ैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरनमेंट (सीएसई) ने किया है.
बाज़ार में उपलब्ध ब्रांडेड और रिफाइन तेल तथा वनस्पति घी बेचने वाली कंपनियों के तमाम स्वास्थ्यवर्धक दावों, और विज्ञापनों की चकाचौंध में उपभोक्ता मंहगे और ब्रांडेड रिफाइन तेल तथा वनस्पति घी खरीद लेते हैं लेकिन इस बीच देशी घी और मक्खन का चलन भी कम हुआ है हाँ अज भी ऐसे परिवारों की कमी नहीं है जाना सिर्फ देसी घी और मक्खन का ही उपयोग होता है
सीएसई ने बाज़ार में उपलब्ध तेल, वनस्पति घी, मक्खन और घी बनाने वाली तीस कंपनियों के उत्पादों की जाँच के बाद पाया कि इन सभी उत्पादों में ट्रांस फ़ैट की मात्रा ज़रूरत से कई गुना अधिक है. ट्रांस फ़ैट एक असंतृप्त वसा है जो खाद्य तेल की जीवन अवधि बढ़ाने में सहायक होता है. रिपोर्ट के मुताबिक ट्रांस फ़ैट स्वास्थ्य के लिए घातक होता है, ख़ासकर दिल के लिए, क्योंकि ये लाभदायक कॉलेस्टेरॉल की मात्रा को कम कर देता है. इससे कैंसर और मधुमेह जैसी बीमारियाँ होने का ख़तरा बढ़ जाता है.
बीमारी :- सीएसई की जाँच में सभी ब्रांड के वनस्पति घी में ट्रांस फ़ैट की मात्रा डेनमार्क में स्थापित मानक के मुकाबले में पाँच से 12 गुना अधिक पाई गई. अध्ययन के अनुसार अगर डेनमार्क के मानक से तुलना की जाए तो भारत में किसी भी खाद्य तेल के स्वास्थ्य के लिए सही होने के बारे दावा नहीं किया जा सकता है दुनिया के कई देश खाद्य तेल में ट्रांस फ़ैट के इस्तेमाल की निगरानी करते हैं और भारत में भी खाद्य पदार्थों की निगरानी करने वाली संस्था ने ट्रांस फ़ैट को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया है. वर्ष 2004 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने ट्रांस फ़ैट के मानक को तय करने पर विचार करना शुरु किया और वर्ष 2008 में सेंटर कमेटी फ़ॉर फूड को इस सिलसिले में एक प्रस्ताव भी भेजा था लेकिन इस पर फ़ैसला लिया जाना अभी भी बाक़ी है. अध्ययन के अनुसार ट्रांस फ़ैट की मात्रा सबसे अधिक वनस्पति घी और फिर वनस्पति तेल में है जबकि इसकी सबसे कम मात्रा घी और मक्खन में पाई जाती है.
सबसे घातक :-
राग ऑयल - २३.३१ फीसदी ट्रांस फ़ैट
पनघट तेल - २३.७ फीसदी ट्रांस फ़ैट
रथ वनस्पति - १५.९ फीसदी ट्रांस फ़ैट
गगन वनस्पति - १४.८३ फीसदी ट्रांस फ़ैट
जिंदल वनस्पति १३.७६ फीसदी ट्रांस फ़ैट
डालडा वनस्पति - ९.४ फीसदी
धारा सरसों तेल - १ फीसदी ट्रांस फ़ैट
सोयाबीन (फोर्च्यून, नेचर फ्रेश, व् जैमनी ) - १.५ फीसदी ट्रांस फ़ैट
अमूल मक्खन - ३.७ फीसदी ट्रांस फ़ैट
अध्यन के अनुसार सीएसई का यह कहना है कि यह तय कर पाना मुश्किल है कि कौन सा तेल सेहत के लिए अच्छा है
शुद्ध घी बनाम रिफाइन आयल :- यदि आप अपनी सेहत के लिए फिक्रमंद हैं और नहीं चाहते कि अपने और अपने परिवार के किसी सदस्य को दिल की बीमारी हो तो शुद्ध घी और मक्खन ज़्यादा बेहतर विकल्प है
February 5, 2009
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1 comment:
काश हमारी सरकार भी मानकों की तरफ ध्यान दे।
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