February 2, 2009

घट गए वनक्षेत्र - मैली हो गई पुण्यसलिला माँ नर्मदा

<><><>(कमल सोनी)<><><> मध्यप्रदेश की जीवनदायनी और धार्मिक महत्व रखने वाली नर्मदा नदी अब प्रदूषित हो गई है चिंता की बात तो यह है कि नर्मदा अपने उदगम स्थल अमरकंटक में ही सबसे ज़्यादा मैली हो गई है मध्यप्रदेश प्रदूषण निवारण मंडल की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक पुण्य दायनी नर्मदा अब मैली हो गई है और यदि अभी इसके प्रदूषण मुक्त करने के प्रयास नहीं किया गए तो आगे इसके और भी अधिक मैली होने की संभावना है रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि अपने उदगम स्थान से रेवा सागर संगम तक के लगभग १२५० किमी के सफ़र में नर्मदा नदी का जल यदि सबसे ज़्यादा प्रदूषित है धार्मिक घाटों पर साथ ही शैरोन का प्रदूषित जल भी नर्मदा में प्रवाहित किया जाता है
क्या कारण हैं प्रदूषण के ? :- पुण्य सलिला सौंदर्य नदी नर्मदा अपने घटते वन क्षेत्र, बांधों का निर्माण, कीटनाशक युक्त पानी के बहाव, शैरोन की नालियों का गंदा पानी नर्मदा में बहाना इत्यादि अनेक कारण हैं जिससे नर्मदा मैली हो गई है लेकिन इनमें सबसे बड़ा कारण है धार्मिक कारण जो मध्यप्रदेश प्रदूषण निवारण मंडल की ताज़ा रिपोर्ट को सही ठहराता है वह है प्रतिदिन नर्मदा में बहाई जाने वाली पूजन सामाग्री, लोग अपने घरों से पूजा के बाद के अवशेष नर्मदा में लाकर बहा देते हैं साथ ही प्रतिदिन नर्मदा स्नान और उसमें कपडे धोना जानवरों को नहलाना इत्यादि अनेकों कारण नर्मदा को प्रदूषित कर रहे हैं
नर्मदा को सौंदर्य की नदी कहा जाता है यही मुख्य वजह है कि इसके तटों ख़ास तौर पर अमरकंटक और भेडाघाट जबलपुर में देशी विदेशी पर्यटकों का जमावडा लगा रहता है पर्यटन का केंद्र होने की वजह से नर्मदा के प्रसिद्द घाटों के आसपास कई होटलों श्रंखला है जिनका गंदा पानी भी नर्मदा में बहाया जाता है
साथ ही नर्मदा नदी में स्वयं को साफ़ करने की क्षमता भी कम हुई है मध्यप्रदेश प्रदूषण निवारण मंडल के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि नर्मदा में एक प्रकार का जीव पाया जाता है पत्थरों को जोड़ता है पानी को फिल्टर करता है यह प्रकृति का ही एक स्वरुप है जिससे नदियाँ स्वयं को स्वच्छ रखती हैं लेकिन पिछले कुछ सालों में इसमें कमी के चलते नर्मदा में स्वयं को स्वच्छ करने की क्षमता में भी कमी आई है
सौन्दर्य नदी नर्मदा :- नर्मदा अन्य नदियों के अलावा अपने दोनों तटों पर बेहद सौंदर्य समेटे हुए है सघन वन क्षेत्र और पथरीली वादियों से प्रवाहित नर्मदा के अलग अलग रूप देखने को मिलते हैं कहीं अपने शांत प्रवाह में असीम गंभीरता का परिचय देती तो कहीं गर्जना के साथ अपना प्रचंड रूप भी दिखाती पत्थरों की सीना चीरती, बड़े बड़े जल प्रपात बनाती हुई निरंतर आगे बढ़ने का ज्ञान भी देती है
सदियों से कई साहित्यकारों और कवियों ने नर्मदा के सौंदर्य से प्रभावित होकर उसे अपनी लेखनी का माध्यम बनाया
घट गए वन्य क्षेत्र, गिर गया जल स्तर :- कभी नर्मदा के दोनों तटों पर सघन वन्य क्षेत्र हुआ करते थे इसका प्रमाण कलचुरी वंश और उससे पहले के समय के एइतिहसिक तथ्य देते हैं पौराणिक नदी नर्मदा के वन्य क्षेत्र बेहद घट गए हैं साथ ही उसका जल स्तर भी निरंतर घट रहा है
क्या है नर्मदा का धार्मिक महत्व ? :- यूं तो नर्मदा के धार्मिक महत्व से सभी परिचित हैं धार्मिक पुराणों में नर्मदा को तीर्थ संजोयानी कहा गया नर्मदा के धार्मिक महत्व का वर्णन हमें हिन्दू धर्म के पौराणिक ग्रंथों जैसे शिवमहापुराण, नारद पुराण, स्कंध पुराण के रेवाखंड, महाभारत, और नर्मदा पुराण में मिलते हैं नर्मदा पुराण स्कंध पुराण के रेवा खंड से ही लिया गया है नर्मदा के १०८ नामों में से एक नाम है शांकरी इसका वर्णन शिव महापुराण में मिलता है यही वजह है कि नर्मदा में पाए जाने वाला हर पत्थर भगवान शिव का रूप माना जाता है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गंगा स्नान से जो पुण्य लाभ मिलता है वही पुण्य लाभ नर्मदा दर्शन से मिलता है हालाकिं इससे गंगा का महत्व कम नहीं होता लेकिन ऐसा सिर्फ इसीलिये है कि शास्त्रों में गंगा को श्रेष्ठ और नर्मदा को ज्येष्ठ नदी माना गया है
क्या हों प्रयास ? :- कुछ समय पूर्व चौकाने वाला तथ्य यह सामने आया है कि मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में ओमती नाला जो कि शहर का सबसे बड़ा नाला है लेकिन किसे ज़माने में यह ओमती नदी के नाम से प्रचलित था अंग्रेजों के शासन काल में भी लिखे गए लेखों में ओमती नदी का ही वर्णन है
यदि आज नर्मदा को बचाने की मुहिम न छेड़ी गई तो वह दिन दूर नहीं जब या तो नर्मदा पूरी तरह से प्रदूषित हो जायेगी अपितु उसका अस्तित्व भी खतरे में पड़ जायेगा मध्यप्रदेश की जीवनदायनी पुण्यसलिला नर्मदा को स्वच्छ रखने में धार्मिक, सामाजिक, राजनितिक और प्रशासनिक सभी के सहयोग की आवश्यकता है साथ ही ज़रुरत है आमजनमानस में नर्मदा महत्व और आगामी भविष्य में नर्मदा की ज़रुरत को प्रसारित कर जागरुक बनाया जाय ताकि लोग स्वतः ही इसे प्रदूषित करने से परहेज़ करें

2 comments:

Vinay said...

बहुत सुन्दर शब्द प्रयोग

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हिन्द-युग्म: आनन्द बक्षी पर विशेष लेख

संगीता पुरी said...

बहुत अच्‍छा लगा आपका यह आलेख...