July 21, 2009

सदी का सबसे लंबा सूर्यग्रहण कल, वैज्ञानिकों में खासा उत्साह


चांद-सितारों और खगोलीय घटनाओं में दिलचस्पी रखने वालों सहित तमाम लोगों खासा उत्साह है, क्योंकि बुधवार २२ जुलाई को इस सदी का सबसे लंबे समय तक चलने वाला खग्रास सूर्यग्रहण देखा जा सकेगा। करीब 360 वर्ष बाद किसी क्षेत्र विशेष में हो रही इस अद्भुत खगोलिया घटना को देखने के लिए पूरे देश में रोमांच की स्थिति है। दिन की शुरुआत के साथ ही शुरू होने वाला यह सूर्यग्रहण पृथ्वी के अलग-अलग स्थानों पर लगभग तीन घंटे 25 मिनिट तक दिखाई देगा।
कब होता है पूर्ण सूर्यग्रहण :- खग्रास सूर्यग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा सूर्य के सामने आ जाता है और सूर्य की चमकीली सतह चंद्रमा के कारण ढंक जाती है। खग्रास सूर्यग्रहण को पृथ्वी की सतह से एक पतली पट्टी पर पड़ने वाले स्थानों से ही देखा जा सकता है।
कहाँ कहाँ देखा जा सकेगा खग्रास सूर्यग्रहण :- जिन भारतीय शहरों से खग्रास सूर्यग्रहण देखा जा सकता है, उनमें भावनगर, सूरत, उज्जैन, इंदौर, भोपाल, जबलपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, गया, पटना, भागलपुर, जलपाईगुड़ी, गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ शामिल हैं। मध्यप्रदेश के भोपाल में पूर्ण सूर्यग्रहण 6.22 से 6.26 बजे के बीच लगभग साढ़े तीन मिनट तक चलेगा। आम लोग भी अपने स्तर पर सूर्यग्रहण का नजारा देख सकें इसके लिए कुछ संस्थाओं ने सोलर फिल्टर चश्मे उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की है। मप्र विज्ञान सभा सदस्य के एस तिवारी के अनुसार आंचलिक विज्ञान केंद्र तथा जवाहर विद्यालय से कोई भी न्यूनतम कीमत में सोलर फिल्टर चश्मा प्राप्त कर सकता है। मध्यप्रदेश के जिन शहरों में पूर्ण सूर्यग्रहण दिखेगा उनमें इंदौर, उज्जैन, देवास, सीहोर, खंडवा, विदिशा, रायसेन, भोपाल, होशंगाबाद, इटारसी, सागर, दमोह, नरसिंहपुर, जबलपुर, सतना, मैहर, रीवा, सीधी, शहडोल शामिल हैं।
अध्ययन के लिए विशेष इन्तेजाम :- सदी का सबसे लंबी अवधि का सूर्यग्रहण 22 जुलाई को भोपाल समेत देश के अन्य शहरों में दिखाई देगा। इसके अध्ययन और दर्शन के लिए शासकीय और निजी संस्थाओं ने विशेष इंतजाम किए हैं। रीजनल साइंस सेंटर ने सोमवार से जागरूकता कार्यक्रम की शुरुआत की, वहीं साइंस सेंटर (ग्वालियर) मप्र मंगलवार से तीन दिनी महोत्सव शुरू कर रहा है, जिसमें इसके प्रभाव पर अध्ययन किया जाएगा।
ग्रहण बताएगा सूरज की गर्मी का राज :- इंदौर सहित दुनियाभर में वैज्ञानिकों ने सूर्यग्रहण के दौरान कई प्रयोगों की तैयारी की है। इतना लंबा खग्रास सूर्यग्रहण इसके बाद ठीक 123 वर्ष बाद 13 जुलाई 2132 को दिखेगा। इस ऐतिहासिक खगोलीय घटना के बारे में नेहरू प्लेनेटेरियम के पूर्व निदेशक जे.जे. रावल का कहना है कि प्रभात की वेला में सूर्यग्रहण होने की वजह से ग्रहण के समय शेडाबेक फिनोमिनन स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगी और इस अवधि में वायुमंडल में कंपन्न का एहसास होगा। हल्के सफेद-काली पट्टी भी वातावरण में देखी जा सकेंगी। यह सूर्यग्रहण एक भारतीय वैज्ञानिक की 1981 में इंटरनेशनल जर्नल ‘अर्थ, मून एंड प्लेनेट’ में प्रकाशित उस थीसिस को समर्थन देगा जिसमें कहा गया था कि सूर्य के इर्दगिद वलय (घेरे) एवं छोटे-छोटे गृह होने की संभावना है। यह खगोलशास्त्री एवं नेहरू प्लेनेटेरियम, दिल्ली के पूर्व निदेशक जे जे रावल ने विश्व के सामने रखी थी। उन्होंने आगे बताया कि खग्रास सूर्यग्रहण के समय सूर्य के इर्दगिर्द जो रंगपटल (स्पैक्ट्रम ) बनता है, उससे सूर्य के वातावरण के तापमान एवं प्रेशर की जानकारी प्राप्त हो सकती है।
14 इंच के टेलिस्कोप से देखेंगे ग्रहण :- 22 जुलाई को होने वाले सदी के सबसे बड़े सूर्यग्रहण के लिए सभी ओर तैयारियां चल रही हैं। इसे देखने के लिए वैज्ञानिकों ने कई सुझाव दिए और कई जगह विशेष व्यवस्था की गई है। खगोलशास्त्र में रुचि रखने वालों के लिए ग्रहण बड़ी उत्सुकता का विषय है। शहर में ऐसे ही लोगों के लिए सूर्यग्रहण देखने का इंतजाम आईपीएस एकेडमी में किया जा रहा है। यहां १४ इंच के सेलिस्ट्रोन टेलिस्कोप से सूर्यग्रहण लाइव देखा जा सकता है। एकेडमी के आईएसएलटी विभाग के डायरेक्टर प्रो. एम.एल. शर्मा ने बताया यह टेलिस्कोप प्रदेश का सबसे शक्तिशाली टेलिस्कोप है। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे सूर्यग्रहण देख सकें इसलिए सीसीडी कैमरे लगाकर स्क्रीन पर भी ग्रहण दिखाया जाएगा।
तारेगना में भी जुडा शोधकर्ताओं का हुजूम :- सूर्यग्रहण पट्टी में ऐतिहासिक खगोलीय घटना का गवाह बनने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त स्थान साबित होने के बाद आर्यभट्ट की धरती तारेगना इसके लिए पूरी तरह तैयार है। दुनिया भर से वैज्ञानिकों का हुजूम अपने पूरे साजो सामान के साथ बिहार के तारेगना स्थान से सूर्यग्रहण का नजारा देखेगा। मुख्यमंत्री समेत विशिष्ट लोगों के लिए अनुमंडल का रेफरल अस्पताल तो अन्य लोगों के लिए तारेगना के गांधी मैदान, सेंट मैरी स्कूल तथा सेंट माइकल स्कूल को तैयार किया गया है। तारेगना में तैयारियों और शहर में बाहरी लोगों के जमघट से स्थानीय लोगों के कौतूहल को पंख लग गए हैं। विभिन्न विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के वैज्ञानिक और छात्र भी आज शाम तक तारेगना पहुंच जाएंगे। इस सिलसिले में अखिल भारतीय जनविज्ञान नेटवर्क एवं भारत ज्ञान विज्ञान समिति से जुड़े एवं पूर्व राष्ट्रपति डा. ए पी जे अब्दुल कलाम के सहयोगी रहे डा. एम पी परमेश्वरन, नेटवर्क के अध्यक्ष सी पी नारायणन, महासचिव डा. अमित सेनगुप्ता, राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद के वैज्ञानिक शशि आहूजा, भारत ज्ञान विज्ञान समिति के सचिव आशा मिश्र, मुख्य रूप से राजधानी पहुंच गए हैं। स्पेस के डा. विक्रांत नारंग भी 21 की शाम तक तारेगना पहुंच जाएंगे। पटना तथा अन्य जगहों से पहुंच रहे लोगों ने सूर्यग्रहण देखने को स्थानीय लोगों के मकान की छतें भी बुक करा ली हैं। बाहरी लोगों की हलचल और यहां चल रही प्रशासनिक तैयारियों ने पूरे माहौल में उत्सुकता घोल दी है। आर्यभट्ट की धरती का होने का गौरव उनके हावभाव में झलक जाता है।
नासा की रिपोर्ट से सुर्खियों में आया तारेगना :- पर्यटकों का रुख तारेगना की ओर करने में अमेरिका के नेशनल एरोनाटिक एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन [नासा] द्वारा इस सूर्य ग्रहण के संबंध में जारी करीब 200 पृष्ठों की रिपोर्ट ने अहम भूमिका निभाई है। रिपोर्ट में सूर्यग्रहण के संदर्भ में तारेगना की खूबियां गिनाई गई हैं। नासा के मुताबिक तारेगना में बदली छाने की औसत संभावना इलाहाबाद में 77 और बनारस में 71 प्रतिशत के मुकाबले 63 प्रतिशत है। साथ ही धूप की चमक [सनशाईन] का औसत मुंबई के 18 प्रतिशत, इंदौर के 25 प्रतिशत, इलाहाबाद के 34 प्रतिशत के मुकाबले तारेगना में 43 प्रतिशत है। तारेगना में ये दो फैक्टर नेपाल, बांग्लादेश, भूटान एवं चीन से बेहतर हैं जहां ये सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। ऐसे में सूर्य ग्रहण के नजारे के लिए यह सबसे बेहतर स्थान है।
घटेगा गुरुत्वाकर्षण :- कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण कम हो जाता है। चीन में छह स्थानों पर हाई सेंसिटिव उपकरण लगाए जाएंगे, जो ग्रहण काल के दौरान पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण क्षमता रिकॉर्ड करेंगे।
सूर्यग्रहण देखने के लिए क्या करें :- गत्ते में पिन छेद करके उसे सूर्य की किरणों के सामने रखकर सूर्य की छवि किसी छाया वाली दीवार पर प्रक्षेपित करें। एक छोटे दर्पण को कागज के टुकड़े से ढ़ककर कागज में दो सेंटीमीटर व्यास का छिद्र बनाकर इससे दीवार पर सूर्य की छवि प्रक्षेपित करें। पूर्णता की स्थिति में आप सूर्य को सीधा निहार सकते हैं, मगर लगातार न देखें।
ग्रहण देखने के लिए यह न करें :- धुंआयुक्त ग्लास, रंगीन फिल्म, सनग्लास, नानसिल्वर ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म का इस्तेमाल न करें। टेलीस्कोप या बाइनाकुलर से सूर्य को कभी न देखें। पूर्ण सूर्यग्रहण की दशा को लगातार न देखें।
राशियों पर असर :- ग्रहण का धार्मिक महत्व भी है। मंदिरों में इसके लिए भी विशेष तैयारियां की गई हैं। ग्रहण काल में भगवान की मूर्ति को स्पर्श नहीं किया जाता है। ज्योतिषों के अनुसार ग्रहण का कुछ राशियों में शुभ तो कुछ राशियों में अशुभ फलदायक रहेगा कुछ राशियों में मिश्रित फल मिलेंगे
मेष: स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव, दुर्घटना की संभावना
वृष: रुके काम बनेंगे। वाणी पर संयम रखें।
मिथुन: खर्च अधिक, चिंताएं बढ़ेंगी
कर्क: कोर्ट के मामलों में सतर्क रहें, वाहन सावधानी से चलाएं।
सिंह: अधिकारियों से विवाद होगा। लेनदेन नहीं करें।
कन्या: आर्थिक लाभ होगा। शुभ कार्य होंगे।
तुला: मिलेजुले प्रभाव होंगे। पदोन्नति हो सकती है।
वृश्चिक: परिवार में मतभेद उभरेंगे। काम रुक सकते हैं।
धनु: समय कष्टप्रद रहेगा। वाहन सावधानी से चलाएं।
मकर: स्वास्थ्य प्रभावित होगा। संतान की चिंता बढ़ेगी।
कुंभ: शत्रु शांत होंगे। काम बन सकते हैं।
मीन: मिश्रित फल मिलेंगे। धैर्य बना रहा तो फायदा होगा।

1 comment:

Udan Tashtari said...

बहुत अच्छी जानकारी.

देखने का तरीका अच्छा बताया आपने. आभार.

राशियों पर प्रभाव देखकर लगा कि कुंभ छोड़ कर सबकी वाट लगेगी. :)