(कमल सोनी)>>>> सदी की सबसे बडी औद्योगिक त्रासदी 'भोपाल गैस कांड' के मामले में सीजेएम कोर्ट ने आखिरकार 25 साल बाद सभी आठ दोषियों को दो साल की कैद की सजा सुनाई है. सभी दोषियों पर एक-एक लाख रूपए और यूनियन कार्बाइड इंडिया पर पांच लाख रूपए का जुर्माना ठोका गया है. इतना ही नहीं सजा का ऎलान होने के बाद ही सभी दोषियों को 25-25 हजार रूपए के मुचलके पर जमानत भी दे दी गई. अब इसे अंधे क़ानून का धुरा इंसाफ न कहीं तो और क्या कहें. क्योंकि 25 साल तक न्याय का इन्तेज़ार कर रहे गैस पीड़ितों को फिर निराशा ही हाथ लगी है. ये वही गैस पीड़ित हैं जो पिछले 25 सालों से जांच एजेंसियों, सरकार और राजनीतिक दलों द्वारा ठगते आ रहे हैं. आज उन्हें न्याय की उम्मीद थी लेकिन वो भी पूरा नहीं मिला. त्रासदी का मुख्य गुनहगार वारेन एंडरसन अभी भी फरार है. सरकार एंडरसन के प्रत्यर्पण में सफल नहीं हो पाई है. अदालत ने आठों आरोपियों को धारा 304 ए के तहत लापरवाही का दोषी करार दिया था. कोर्ट के फैसले पर गैस पीड़ितों में जमकर रोष है. गैस पीड़ितों ने दोषियों के लियी फांसी की सज़ा की मांग की है. आश्चर्य जनक तथ्य यह है कि गैस त्रासदी में 25000 से ज़्यादा लोग मारे गए थे. और उनके दोषियों को महज़ 2 साल की सज़ा दी गई. जबकि कंपनी पर 5 लाख का जुर्माना लगाया गया. क्या 25000 लोगों की मौत के जिम्मेदारों के लिए यह सज़ा काफी है. 25 साल पहले 2/3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात को भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने से रिसी जहरीली मिथाइल आइसोसायनेट गैस के कारण 25000 से ज़्यादा लोग मारे गए थे. और अनेक लोग स्थायी रूप से विकलांग हो गए थे. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस दुर्घटना के कुछ ही घंटों के भीतर तीन हज़ार लोग मारे गए थे. अब एक अहम सवाल यह उठता है कि क्या इस फैसले से पीड़ितों को न्याय मिला है ? फैसले के बाद चारों तरफ से तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. लोग इसे अंधे क़ानून का अधूरा इंसाफ कह रहे हैं. जब छह दिसंबर 1984 को यह मामला सीबीआई को जांच के मिला था. तब गैस त्रासदी की जांच कर रही सीबीआई ने विवेचना पूरी कर एक दिसंबर 1987 को यूनियन कार्बाइड के खिलाफ यहां जिला अदालत में आरोप पत्र पेश किया था, जिसके आधार पर सीजेएम ने भारतीय दंड संहिता की धारा 304 एवं 326 तथा अन्य संबंधित धाराओं में आरोप तय किए थे. इन आरोपों के खिलाफ कार्बाइड ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और शीर्ष अदालत ने 13 सितंबर 1996 को धारा 304, 326 के तहत दर्ज आरोपों को कम करके 304 (ए), 336, 337 एवं अन्य धाराओं में तब्दील कर दिया. जिससे केस कमज़ोर हो गया. एक अहम सवाल यह भी है कि क्या जान बूझकर केस को कमज़ोर करने के कोशिश की गई. धारा 304 (ए) के तहत अधिकतम दो वर्ष के कारावास का ही प्रावधान है. 25 बरस न्याय का इन्तेज़ार करने वाले गैस पीड़ित छले गए हैं. 25 बरस राजनीतिक दांवपेंच का शिकार होते रहे. अफसोस की बात तो यह है कि इतना बड़ा हादसा होने के बाद इसके ज़िम्मेदारों को कड़े से कड़ी सजा मिले इसके लिए पीड़ितों को न्याय के लिए 25 बरस का इन्तेज़ार करना पड़ा. इस हादसे में सबसे ज़्यादा प्रभावित ऐसे लोग थे जो रोज़ कुआ खोदने और रोज़ पानी पीने का काम किया करते थे. आज 25 साल बाद जब कोर्ट ने फैसला दिया तो दोषियों को 25 हज़ार के मुचलके पर ज़मानत भी दे दी गई. और न्याय को तरसते पीड़ित अपनी विवशता और लाचारी दोहराने को मजबूर दिखाई दिए. इसे हमारे देश की विडम्बना कहें या फिर इस देश के निवासियों का दुर्भाग्य, सरकार 11 करोड़ रुपये खर्च कर स्मारक बनाने की बात तो करती है लेकिन भ्रष्टाचार में डूबे सरकारी तंत्र और न्याय प्रक्रिया में सुधार लाकर वास्तविक गैस पीड़ितों न्याय दिलाने की दिशा में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठा सकती.
इस भीषण त्रासदी के गुनाहगार :- यूका के मालिक वारेन एंडरसन, यूसीआईएल भोपाल के चेयरमेन केशव महिन्द्रा, मैनेजिंग डायरेक्टर विजय गोखले, वाइस प्रेसिडेंट किशोर कामदार, वर्क्स मैनेजर जे मुकुंद, असिस्टेंड वर्क्स मैनेजर डॉ. आरपीएस चौधरी, प्रोडक्शन मैनेजर एसपी चौधरी, प्लांट सुप्रीटेंडेंट केपी शेट्टी, प्रोडक्शन असिस्टेंट एमआर कुरैशी सहित यूका कार्पोरेशन लि. यूएसए, यूसीसी ईस्टर्न इंडिया हांगकांग और यूका इंडिया लि. कोलकाता पर मुकदमा चल रहा है. भोपाल गैस कांड के आरोपियों में से मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन, यूका कार्पोरेशन लि. यूएसए और यूसीसी ईस्टर्न इंडिया हांगकांग फरार घोषित हैं. जबकि आरपीएस चौधरी की मौत हो चुकी है.
इस भीषण त्रासदी के गुनाहगार :- यूका के मालिक वारेन एंडरसन, यूसीआईएल भोपाल के चेयरमेन केशव महिन्द्रा, मैनेजिंग डायरेक्टर विजय गोखले, वाइस प्रेसिडेंट किशोर कामदार, वर्क्स मैनेजर जे मुकुंद, असिस्टेंड वर्क्स मैनेजर डॉ. आरपीएस चौधरी, प्रोडक्शन मैनेजर एसपी चौधरी, प्लांट सुप्रीटेंडेंट केपी शेट्टी, प्रोडक्शन असिस्टेंट एमआर कुरैशी सहित यूका कार्पोरेशन लि. यूएसए, यूसीसी ईस्टर्न इंडिया हांगकांग और यूका इंडिया लि. कोलकाता पर मुकदमा चल रहा है. भोपाल गैस कांड के आरोपियों में से मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन, यूका कार्पोरेशन लि. यूएसए और यूसीसी ईस्टर्न इंडिया हांगकांग फरार घोषित हैं. जबकि आरपीएस चौधरी की मौत हो चुकी है.
3 comments:
bhut badiya likha hai aapane.follow my blog
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