March 22, 2010

'जल नहीं तो कल नहीं' - जल बचाओ



(कमल सोनी)>>>> "रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून" आज २२ मार्च को पूरे विश्व में जल दिवस मनाया जा रहा है. यानि जल बचाने के संकल्प का दिन. धरती पर जब तक जल नहीं था तब तक जीवन नहीं था और यदि आगे जल ही नहीं रहेगा तो जीवन के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती. वर्त्तमान समय में जल संकट एक विकराल समस्या बन गया है. नदियों का जल स्तर गिर रहा है. कुएं, बावडी, तालाब जैसे प्राकृतिक स्त्रोत सूख रहे हैं. घटते वन्य क्षेत्र के कारण भी वर्षा की कमी के चलते जल संकट बढ़ रहा है. वहीं उद्योगों का दूषित पानी की वजह से नदियों का पानी प्रदूषित होता चला गया. लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. आँकड़े बताते हैं कि विश्व के लगभग ८८ करोड लोगों को पीने का शुद्ध पानी नही मिल रहा है. ताज़े पानी के महत्त्व पर ध्यान केन्द्रित करने और ताज़े पानी के संसाधनों का प्रबंधन बनाये रखने के लिए राष्ट्र संघ प्रत्येक वर्ष २२ मार्च का दिन अंतर्राष्ट्रीय जल दिवस के रूप में मनाता है. सुरक्षित पेय जल स्वस्थ्य जीवन की मूल भूत आवश्यकता है फिर भी एक अरब लोग इससे वंचित हैं. जीवन काल छोटे हो रहे हैं- बीमारियाँ फैल रही हैं. आठ में से एक व्यक्ति को और पूरी दुनियाँ में ८८ करोड़ ४० लाख लोगों को पीने के लिए साफ़ पानी नहीं मिल पा रहा. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक वर्ष ३५ लाख ७५ हज़ार लोग गंदे पानी से फैलने वाली बीमारी से मर जाते हैं. मरने वालों में अधिकांश संख्या १४ साल से कम आयु के बच्चों की होती है जो विकासशील देशों में रहते हैं. इसे रोकने के लिए अमरीका विकास सहायता के तहत पूरी दुनियाँ में हर साल जल आपूर्ति और साफ़ पीने का पानी सुलभ कराने के लिए करोडों डॉलर खर्च कर रहा है.

जल बचाना ज़रूरी :- प्रकृति जीवनदायी संपदा जल हमें एक चक्र के रूप में प्रदान करती है, हम भी इस चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. चक्र को गतिमान रखना हमारी ज़िम्मेदारी है, चक्र के थमने का अर्थ है, हमारे जीवन का थम जाना. प्रकृति के ख़ज़ाने से हम जितना पानी लेते हैं, उसे वापस भी हमें ही लौटाना है. हम स्वयं पानी का निर्माण नहीं कर सकते अतः प्राकृतिक संसाधनों को दूषित न होने दें और पानी को व्यर्थ न गँवाएँ यह प्रण लेना आज के दिन बहुत आवश्यक है. पानी हमारे जीवन की पहली प्राथमिकता है, इसके बिना तो जीवन संभव ही नहीं क्या आपने कभी सोचा कि धरती पर पानी जिस तरह से लगातार गंदा हो रहा है और कम हो रहा है, अगर यही क्रम लगातार चलता रहा तो क्या हमारा जीवन सुरक्षित रहेगा कितनी सारी आपदाओं का सामना करना पड़ेगा और सबकी जिन्दगी खतरे में पड़ जाएगी इस लिए हम सबको अभी से इन सब बातों को ध्यान में रख कर पानी की संभाल और सुरक्षा की जिम्मेदारी उठानी चाहिए यह दिवस तो २२ मार्च को मनाया जाता है और वैसे भी पानी की आवश्यकता तो हमें हर पल होती है फिर केवल एक दिन ही क्यों, हमें तो हर समय जीवनदायी पानी की संभाल के लिए उपाय करते रहना चाहिए, यह दिन तो बस हमें हमारी जिम्मेदारी का अहसास कराने के लिए मनाए जाते हैं.

दुनिया भर की मुख्य नदियों के जल स्तर में भारी गिरावट दर्ज - रिसर्च :- दुनिया भर की मुख्य नदियों के जल स्तर में गिरावट दर्ज की गई है एक अध्ययन में निकले निष्कर्षों के मुताबिक़ जलवायु परिवर्तन की वजह से नदियों का जल स्तर जल स्तर घट रहा है और आगे इसके भयावह परिणाम सामने आएंगे अमेरिकन मीटियरॉलॉजिकल सोसाइटी की जलवायु से जुड़ी पत्रिका ने वर्ष २००४ तक, पिछले पचास वर्षों में दुनिया की ९०० नदियों के जल स्तर का विश्लेषण किया है. जिसमें यह तथ्य निकलकर आया है कि दुनिया की कुछ मुख्य नदियों का जल स्तर पिछले पचास वर्षों में गिर गया है. यह अध्ययन अमेरिका में किया गया है. अध्ययन के अनुसार इसकी प्रमुख वजह जलवायु परिवर्तन है. पूरी दुनिया में सिर्फ़ आर्कटिक क्षेत्र में ही ऐसा बचा है. जहाँ जल स्तर बढ़ा है. और उसकी वजह है. तेज़ी से बर्फ़ का पिघलना भारत में ब्रह्मपुत्र और चीन में यांगज़े नदियों का जल स्तर अभी भी काफ़ी ऊँचा है. मगर चिंता ये है कि वहाँ भी ऊँचा जल स्तर हिमालय के पिघलते ग्लेशियरों की वजह से है. भारत की गंगा नदी भी गिरते जल स्तर से अछूती नहीं है. उत्तरी चीन की ह्वांग हे नदी या पीली नदी और अमरीका की कोलोरेडो नदी दुनिया की अधिकतर जनसंख्या को पानी पहुँचाने वाली इन नदियों का जल स्तर तेज़ी से गिर रहा है. अध्ययन में यह भी पता चला है. कि दुनिया के समुद्रों में जो जल नदियों के माध्यम से पहुँच रहा है. उसकी मात्रा भी लगातार कम हो रही है. इसका मुख्य कारण नदियों पर बाँध बनाना तथा खेती के लिए नदियों का मुँह मोड़ना बताया जा रहा है. लेकिन ज़्यादातर विशेषज्ञ और शोधकर्ता गिरते जल स्तर के लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उनका मानना है कि बढ़ते तापमान की वजह से वर्षा के क्रम में बदलाव आ रहा है. और जल के भाप बनने की प्रक्रिया तेज़ हो रही है. मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा का भी जल स्तर काफी तेज़ी से गिर रहा है. जिसका मुख्य कारण नर्मदा के दोनों तटों पर घटते वन्य क्षेत्र और जलवायु परिवर्तन माना जा रहा है. विशेषज्ञों ने प्राकृतिक जल स्रोतों की ऐसी क़मी पर चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा है. कि दुनिया भर में लोगों को इसकी वजह से काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. उनका कहना है. कि जैसे जैसे भविष्य में ग्लेशियर या हिम पिघलकर ग़ायब होंगे इन नदियों का जल स्तर भी नीचे हो जाएगा.

जल है तो कल है :- जल बचाने के लिए आमजनमानस को स्वयं विचार करना होगा. क्योंकि जल है तो कल है. हमें स्वयं इस बात पर गौर करना होगा कि रोजाना बिना सोचे समझे हम कितना पानी उपयोग में लाते हैं. २२ मार्च “विश्व जल दिवस” है. पानी बचाने के संकल्प का दिन. पानी के महत्व को जानने का दिन और पानी के संरक्षण के विषय में समय रहते सचेत होने का दिन. समय आ गया है जब हम वर्षा का पानी अधिक से अधिक बचाने की कोशिश करें. बारिश की एक-एक बूँद कीमती है. इन्हें सहेजना बहुत ही आवश्यक है. यदि अभी पानी नहीं सहेजा गया, तो संभव है पानी केवल हमारी आँखों में ही बच पाएगा. पहले कहा गया था कि हमारा देश वह देश है जिसकी गोदी में हज़ारों नदियाँ खेलती थी, आज वे नदियाँ हज़ारों में से केवल सैकड़ों में ही बची हैं. कहाँ गई वे नदियाँ, कोई नहीं बता सकता. नदियों की बात छोड़ दो, हमारे गाँव-मोहल्लों से तालाब आज गायब हो गए हैं, इनके रख-रखाव और संरक्षण के विषय में बहुत कम कार्य किया गया है. पानी का महत्व भारत के लिए कितना है. यह हम इसी बात से जान सकते हैं. कि हमारी भाषा में पानी के कितने अधिक मुहावरे हैं. आज पानी की स्थिति देखकर हमारे चेहरों का पानी तो उतर ही गया है, अब पानी हमें रुलाएगा, यह तय है. तो चलो हम सब संकल्प लें कि हर समय अपनी जिम्मेदारी को निभाएंगे इस तरह हम बहुत सारे जीवों का जीवन बचाने में अपना सहयोग दे सकते हैं.

8 comments:

कृष्ण मुरारी प्रसाद said...

अच्छी जानकारी.....
.......
विश्व जल दिवस..........नंगा नहायेगा क्या...और निचोड़ेगा क्या ?...http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_22.html

समयचक्र said...

जल का संरक्षण करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है . बढ़िया प्रेरक आलेख ..

आपका अख्तर खान अकेला said...

pani ke baare men aapke saargharbhit vichaar upuogi rashtrvaadi hen or bhavishya ko chintit kr usko bchane ke liyen manan krne vaale hen. akhtar khan akela kota rajasthan

Unknown said...

Enter your comment...save water save life

Anonymous said...

Nice
Good essay

Anonymous said...

what a nice eassy about save water

Unknown said...

nice one

Anonymous said...

Lucky Club Live Casino Review
Lucky Club Live Casino luckyclub.live was established in 2015 and has since established itself as one of the top online casinos of all time. We highly recommend them if you are Live Casino: Play Here Today🏆 Lucky Club: Play Here Today