April 10, 2009

अपराधियों की राजनीति में बढ़ती भागीदारी



राजनीति में अपराधियों की भागीदारी देश के लिए बेहद चिंता का विषय है १४ वीं लोकसभा में ९६ ऐसे सांसद हैं जिन पर अपराधिक मामले दर्ज हैं राजनेता हमेशा यह कहकर बच निकलते हैं कि उन पर लगाए आरोप किसी राजनीतिक साजिश का हिस्सा है लेकिन इन मामलों में गैर इरादतन ह्त्या, और आत्महत्या के लिए उकसाने वाले ८४ मामले हैं इसके अलावा लूटपाट के १७, अपहरण के ११, जबरन वसूली के २८, बलात्कार १ मामले शामिल हैं जो किसी भी राजनीतिक साजिश का हिस्सा नहीं लगते राजनीतिक दलों में मार्च २००३ के कोर्ट के फैसले को लेकर बेहद परेशानी है जिसमें प्रत्याशियों को उनके नामांकन पत्र में आपराधिक मामलों, जमा पूंजी, देनदारियों और शैक्षणिक योग्यताओं का ब्योरा देना ज़रूरी कर दिया गया था लेकिन इसके बाद भी राजनीतिक दलों के वायदे और उनके घोषणा पत्र से राजनीति के अपराधीकरण और राजनीति में बाहुबलियों की भागीदारी में रोक लगाने जैसे अहम् मुद्दे गायब हैं ख़ास बात तो यह भी हयाई कि कोई भी राजनीतिक पार्टी दागियों और अपराधियों से अछूती नहीं है
इस बीच दो अहम् फैसले जो सामने आये उससे आम जनता ने थोड़ी राहत महसूस की जब पटना हाई कोर्ट ने पप्पू यादव और सुप्रीम कोर्ट ने संजय दत्त के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी
हालाकि आज के समय में जनता से देश के दागी नेताओं की असलियत छिपी नहीं है १४ लोकसभा में चाहे कितने ही दागी सांसद क्यों न हों लेकिन १५ लोकसभा में होने वाले चुनावों में यदि को बाहुबली या आपराधिक प्रवृत्ती का कोई उम्मीदवार खडा होता है तो जनता को अपने मताधिकार का सही प्रयोग करते हुए इन बाहुबलियों और अपराधियों को वोट नहीं देना चाहिए
१४ लोकसभा में दागी सांसदों की स्थिति



राज्यवार दागी सांसद


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