February 24, 2009

स्लमडॉग मिलिनियर - थोड़ी खुशी थोडा गम |

<><><>()<><><> स्लमडॉग मिलिनियर को मिले आठ आस्कर अवार्ड्स से एक तरफ भारत का कला जगत आज राहत महसूस कर रहा है लम्बी जद्दोजहत के बात तीन ऑस्कर तो भारत की झोली में आये लेकिन मीडिया और कला जगत से जुड़े कुछ लोगों इस बात की कतई खुशी नहीं हैं इस बीच इस बात की बहस भी छिड़ गई कि स्लमडॉग मिलिनियर हॉलीवुड की फिल्म है दूसरा कई लोगों को इस बात का मलाल भी है कि इस फिल्म में कहीं न कहीं देश का उपहास किया गया लेकिन इस बहस का क्या ? क्या वास्तविकता दिखाना भी कोई मज़ाक है यदि इस फिल्म को हमारे देश के निर्माता और निर्देशक ने बनाया होता तो क्या तब भी हम यही कहते कि इस फिल्म में देश का उपहास उडाया गया है इससे तो यही पता चलता है कि हम सच्चाई को स्वीकारने से डरते है और नकारने में आगे हैं स्लमडॉग मिलिनियर को मिले आठ पुरस्कारों में से तीन भारत की झोली में भी आये तो देश भर में एक और बहस छिड़ गई कि भारतीय फिल्मो को पहले कभी ऑस्कर क्यों नहीं मिला लेकिन एक ख़ास बात जो मेरे दिल में है वह यह कि भारत का संगीत विश्व में सबसे आगे है यहाँ का अभिनय कौशल भी विश्व में सबसे आगे है भारत में ऐसी कई फिल्में बनी जिन्हें ऑस्कर दिया जाना चाहिए हो सकता है वो फिल्में ऑस्कर के लिए निर्धारित मापदंडों पर भले ही खरी न उतरी हों यह भी संभव है कि शायद किसी भेदभाव की भावना के चलते भारतीय फिल्मो को ऑस्कर न दिया गया हो लेकिन भारतीय कला जगत पुरस्कारों का मोहताज़ नहीं क्या कला को भी पुरस्कारों के तराजू में तौलकर उसे नंबर वन या नंबर दो की पोजीशन पर बैठाना उचित है यह हमारी परंपरा भी नहीं है हम तो बेवजह इस विदेशी पुरस्कार को हासिल करने की जद्दोजहद में जुटे हैं जो हमारे पाश्चात्य सभ्यता की और बढ़ रहे रुझानों को भी दर्शाता है हाँ फिर भी भारतीय फिल्म निर्माता और निर्देशक चाहें तो ऐसा नहीं हैं कि भारतीय फिल्में ऑस्कर अवार्ड नहीं जीत सकती लेकिन अब वालीवुड से जुड़े फिल्म निर्माताओं और निर्देशकों को यह सोचना होगा कि वे दर्शकों के सामने क्या परोस रहे हैं वालीवुड को आज ज्यादा बड़े बजट की फिल्म बनाना ही नहीं बल्कि ऐसे फिल्मो का निर्माण करना चाहिए जिनका कोई स्तर हो

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