January 30, 2010

मासूमों को कुचलता रईसों पर छाया रफ़्तार और शराब का नशा

कमल सोनी>>>> कल रात मुंबई में शराब के नशे में धुत एक महिला ने अपनी कार से ६ लोगों को कुचल दिया. मुंबई में शुक्रवार देर रात हुए कार हादसे में मरने वालों की संख्या अब दो हो गई है. शनिवार सुबह घटना में गंभीर रूप से घायल पुलिस सब इंस्पेक्टर दीनानाथ शिंदे की भी मौत हो गई. इससे पहले सुबह एक बाइक सवार ने भी हादसे में दम तोड़ दिया. कार नशे में धुत एक महिला चला रही थी नशे में धुत एक महिला ने अपनी होंडा सीआरवी से 6 लोगों को कुचल दिया. नशे की हालत में इस महिला ने पुलिस जीप, टैक्सी और एक बाइक को जबरदस्त टक्कर मारी. नशे में गाड़ी चलाने वाली महिला का नाम नूरिया यूसुफ हवेलीवाला है, वो एक मल्टीनेशनल कंपनी में एक्जीक्यूटिव है, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है. नूरिया बीती रात अपने दोस्त के साथ शराब के नशे में मरीन ड्राइव पर गाड़ी चला रही थी. जैसे ही पुलिस ने इसे रोकना चाहा इसने गाड़ी की रफ्तार तेज कर दी. लेकिन गाड़ी बेकाबू हो गई. पहले इसने एक टैक्सी को टक्कर मारी फिर पुलिस की क्वालिस और मोटरसाइकल पर भी अपनी गाड़ी चढ़ा दी. फिलहाल पुलिस ने महिला का मेडिकल टेस्ट करा दिया है और उससे पूछताछ की जा रही है. पुलिस ने कार चला रही महिला को गिरफ्तार कर उस पर गैर−इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है. हादसे में गंभीर रूप से घायल मोटरसाइकिल सवार अफजल मुखमोजिया को अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हे मृत घोषित कर दिया. हादसे में घायल पुलिसकर्मियों को बाम्बे अस्पताल और गोकुलदास तेजपाल अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. घायल पुलिसकर्मियों की पहचान लाला शिंदे, दीनाननाथ शिंदे, शेलेन्द्र जादव, अशोक शिंदे और अर्जुन गायकवाड़ के रूप में हुई है. जिसने पुलिस सब इंस्पेक्टर दीनानाथ शिंदे की मौत हो गई है.

लेकिन यह कोई पहली घटना नहीं है इससे पूर्व भी मुंबई समेत देश के अन्य शहरों में नशे में धुत होकर रईसजादे सड़क पर मासूमों को अपना निशाना बनाते हैं फिर पैसे और रुआब के बल पर बरी भी हो जाते हैं. मुंबई में बीती रात हुई इस घटना के बाद वो सभी वाकये आंखो के सामने आ गए जिनमें रईसजादों ने नशे में धुत्त होकर बेकसूरों को कुचला है. हांलाकि बाद में इनमें से कुछ ही को सजा मिल पाई और बाकी ने अपने रूतबे के बीच अपनी इस गलती को कहीं छुपा दिया. या फिर गैर इरादतन हत्या का आरोप लगा दिया गया जिससे इन्हें ज्यादा नुकसान नहीं हुआ. पैसे का गुरूर उस पर शराब के नशे में डूबे युवाओं के हाथ जब स्टेरिंग थामते हैं तो रफ्तार अपने आप बढ़ जाती है. फिर इन्हें ये नजर नहीं आता कि चक्के सड़क पर हैं भी या नहीं, और मदहोशी में ये लगाम संभाल नहीं पाते. इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है उन बेकसूरों को जिनकी बदनसीबी उन्हें इनकी कार के सामने ला खड़ा करती है.

आंकड़ों पर नज़र डालें तो इससे पूर्व इसी तरह की कार दुर्घटनाएं हुईं है बैंग्लोर के इंदिरा नगर क्षेत्र में हिट एंड रन केस में चार लोगों की मौत हो गई थी जबकि एक बुरी तरह जख्मी हो गया था. तेज रफ्तार से आ रही होंडा एकॉर्ड कार ने अलसुबह इन लोगों को अपना निशाना बनाया था. मरने वाले लोग मॉर्निंग वॉक कर रहे थे. कार मिटसुन स्टील प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर रजिस्टर थी. मशहूर बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान भी नशे में धुत होकार ड्राइव करते हुए फुटपाथ पर सो रहे मजदूरों को अपनी गाड़ी से कुचल दिया था. बांद्रा में चार लोगों पर सलमान ने कार चढ़ाई थी जिसमें एक की मौत हो गई थी. सलमान खान के वकील ने इस मामले में दलील ये दी की न तो सलमान गाड़ी चला रहे थे न ही उन्होंने शराब पी रखी थी. वकील ने ये सफाई दी की गाड़ी सलमान के बॉडीगार्ड रविंद्र चला रहे थे. रविंद्र की 2007 मे मौत हो गई और मामला रफा दफा हो गया लेकिन पीड़ितों को कोई इन्साफ नहीं मिला. ठीक इसी तरह का हादसा 2006 फरवरी में हुआ था जब रात्रि गश्त कर रहे दो पुलिस कांस्टेबल जयदेव धवाडे़ औऱ गोविंद सावंत को शिव सृष्टी रोड़ के पास सुबह 4 बजकर 15 मिनट पर ह्यूंडई एक्सेंट कार ने रौंद दिया. इस हादसे में दोनों बुरी तरह जख्मी हो गए. यह कार बिजनेसमैन नौशाद हाशमी चला रहे थे, पुलिस ने हाशमी को गिरफ्तार कर लिया और बाद में पता चला की वह नशे की हालत में था.

इन कार हादसों में बीएमडब्ल्यू कांड को कौन भूल सकता है बीएमडब्लयू केस अब तक का हिट एंड रन का सबसे बड़ा उदाहरण है. जिसमें पूर्व नौसेना प्रमुख स्व. सुरेश नंदा के बेटे बिजनेसमैन संजीव नंदा पर तीन पुलिसकर्मियों समेत छह लोगों को अपनी बीएमडब्ल्यू कार से कुचलकर जान से मारने का आरोप लगा था. 10 जनवरी 1999 को संजीव नंदा ने पुलिस चेकपोस्ट पर अल सुबह 4 बजकर 50 मिनट पर पुलिसवालों को रौंद दिया था. बाद में वह कार लेकर भाग गया और उसे अपने दोस्त के यहां साफ करवाई. घटना के वक्त संजीव के साथ उसके कुछ दोस्त भी कार में सवार थे. संजीव ने अपने और अपने पिता के रूतबे से इस केस को दबाने की पूरी कोशिश की थी. लेकिन मीडिया में मामला उछलने के बाद ही संजीव नंदा को सजा मिली.

ऐसे कई मामले और भी हैं जहां इस तरह की कार दुर्घटनाओं ने कई मासूमों को मौत के घाट उतार दिया और गुनेहगार अपने रुतबे और पैसे के बल पर बच निकले. इन सबके बावजूद सरकार ने इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कोई ठोस कार्यवाही नहीं की. ऐसे में अहम सवाल यह उठाता है कि क्यों न ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए यातायात के नियमों में संशोधन कर कुछ कड़े प्रावधान बनाये जाएँ ? और उनको सख्ती से लागू भी किया जाए तथा सख्त से सख्त सज़ा का प्रावधान किया जाये ताकि रईसों पर क़ानून का दर हो और इस तरह की घटनाओं पर रोक लगे जा सके.

No comments: