March 9, 2010

बधाई....अंततः राज्यसभा में पास हुआ महिला आरक्षण बिल, मिले 186 मत


(कमल सोनी)>>>> राज्यसभा में अंततः महिला आरक्षण विधेयक पास हो ही गया. कुल १८७ मत पड़े, जिनमें विधेयक के पक्ष में १८६ और विपक्ष में १ वोट पड़ा. इससे पूर्व आज जब पुनः सरकार ने इस पर बहस करनी चाही. तो इस बिल का विरोध कर रहे सांसद फिर हंगामा करने लगे. लेकिन इस अनियंत्रित हंगामें को देख सदन में मार्शल बुलाकर विरोध कर रहे सांसदों को सदन से सख्ती से बाहर कर दिया. जिसके बाद महिला आरक्षण बिल ध्वनि मत से पारित करवा दिया गया. ध्वनि मत से बिल पास होने के बाद इस पर बहस कराई गई और वोटिंग प्रक्रिया पूरी हुई. और अंततः महिला आरक्षण बिल पास हो गया.

निलंबित सदस्यों को मार्शलों ने किया बाहर :- राज्यसभा में हुए एक अभूतपूर्व घटनाक्रम में महिला आरक्षण के प्रावधान वाले संविधान संशोधन विधेयक के विरोधी सात निलंबित सदस्यों को सदन से बाहर करने के लिए मार्शलों की ताकत का इस्तेमाल किया गया तथा इसके विरोध स्वरूप सपा के कमाल अख्तर ने कांच का ग्लास तक तोड़ दिया और करीब आधे घंटे तक सदन में जबर्दस्त अफरा-तफरी मची रही. तीन बार के स्थगन के बाद जब उच्च सदन की बैठक शुरू हुई तो सातों निलंबित सदस्य आसन के समक्ष धरने पर ही मौजूद थे. इनमें सपा के कमाल अख्तर, आमिर आलम खान, वीरपाल सिंह और नंद किशोर यादव, जदयू के निलंबित सदस्य डॉ. एजाज अली, राजद के सुभाष यादव तथा लोजपा के साबिर अली शामिल हैं. इन्हीं के साथ राजद के राजनीति प्रसाद और सपा के रामनारायण साहू भी आसन के समक्ष आकर विरोध व्यक्त करने लगे. सभापति हामिद अंसारी ने इन सदस्यों से वापस चले जाने की कई बार अपील की. इसी बीच उन्होंने संविधान 108वां संशोधन विधेयक पर चर्चा की घोषणा करते हुए विपक्ष के नेता अरुण जेटली का नाम पुकारा. जेटली अपने स्थान पर बोलने के लिए खड़े हुए लेकिन हंगामे के कारण वह बहुत देर तक अपनी बात शुरू नहीं कर पाये. काफी समय तक सदन में हंगामा जारी रहने के बीच ही सभापति ने विधेयक पर मत विभाजन की घोषणा कर दी. इसके बाद उन्होंने लॉबी खाली करवाने का आदेश दिया. सदन में उस समय 30 से ज्यादा मार्शल मौजूद थे. इन मार्शलों ने एक-एक कर सातों निलंबित सदस्यों को जबर्दस्ती उठाकर सदन से बाहर कर दिया. सबसे अंत में सपा के कमाल अख्तर को मार्शलों ने सदन से जबर्दस्ती बाहर किया. इससे पहले अख्तर सपा, बसपा, जद (यू) और अन्नाद्रमुक के संसदीय नेताओं की बैठने वाली अग्रिम पंक्ति की एक सीट पर खड़े होकर नारेबाजी करने लगे. विरोध के दौरान ही उन्होंने मेज पर पड़ा कांच का एक गिलास पटक दिया. इसके बाद मार्शल उन्हें उठाकर सदन से बाहर ले गए. कमाल अख्तर तथा अन्य निलंबित सदस्यों को जबर्दस्ती सदन से बाहर निकाले जाने का विरोध कर रहे सपा तथा राजद सदस्यों में भाजपा के विनय कटियार समेत कई अन्य सदस्य भी शामिल हो गए. भाजपा के सदस्य मांग कर रहे थे कि सदन को व्यवस्था में लाया जाना चाहिए और इस तरह मार्शल का प्रयोग कर सदन नहीं चलाया जा सकता. इससे पहले, भारी शोरगुल और हंगामे की वजह से सभापति ने विधेयक को बिना चर्चा के ही पारित कराने के उद्देश्य से मत विभाजन का निर्देश दे दिया था. यहां तक कि उन्होंने इस पर ध्वनि मत भी ले लिया था, लेकिन बाद में स्थिति शांत होने पर उन्होंने पुन: चर्चा शुरू कराने का निर्देश दिया.

क्या है विरोध :- पिछले १३ वर्षों से महिला आरक्षण विधेयक आम सहमति के अभाव में लटका पड़ा है. जब भी इसे पेश करने की कोशिश हुई है संसद में ज़बरदस्त हंगामा हुआ है. लेकिन इस बार कांग्रेस, भाजपा और वामपंथी दलों के सदस्यों की संख्या विरोध कर रहे छोटे दलों के सदस्यों पर भारी पड़ सकती है. जो छोटे दल इसका विरोध कर रहे हैं उनमें लालू यादव की आरजेडी, मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी, मायावती की बहुजन समाज पार्टी और देवगौड़ा शामिल हैं. इस विधेयक को लेकर बहस का मुद्दा यह है कि इस आरक्षण में पिछड़ी, दलित तथा मुस्लिम महिलाओं को अलग से आरक्षण दिया जाना चाहिए, वरना ज्यादातर सीटों पर पढ़ी-लिखी शहरी महिलाओं का कब्ज़ा हो जाएगा. यानि विरोध कर रहे सांसद आरक्षण के अंदर आरक्षण की मांग कर रहे थे. मुलायम सिंह यादव ने कहा कि ये पिछड़ों, मुसलमानों और दलितों को संसद में आने देने से रोकने की साज़िश है तो लालू यादव ने इसे भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की साज़िश बताया. दूसरी ओर देशभर के मुस्लिम संगठनों ने महिला विधेयक के मौजूदा स्वरूप पर विरोध में प्रदर्शन की चेतावनी दी है. जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रोफेसर अख्तरुल वासिम ने कहा है कि जब पंचायतों में महिलाओं को आरक्षण के अंदर आरक्षण दे सकते हैं तो राष्ट्रीय पंचायत में ऐसा करने से क्यों परहेज किया जा रहा है.

जदयू का समर्थन :- एक तरफ जदयू अध्यक्ष शरद यादव विधेयक के विरोध में हैं. तो दूसरे तरफ पार्टी के दूसरे प्रमुख नेता व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इसके समर्थन में हैं जिससे पार्टी के समीकरण बदल गए हैं. जनता दल-यू के सदस्यों की राय नीतीश कुमार के बयान के बाद विभाजित हो गई है. राज्यसभा में जदयू के सात सांसदों में जॉर्ज फर्नाडीस बीमार होने के कारण अनुपस्थित हैं. बाकी छह सांसदों को नीतीश का करीबी माना जाता है, इसीलिए उनके विधेयक के समर्थन में रहने की उम्मीद है. विधेयक के पक्ष में वकालत करने वालों का तर्क है कि पिछड़ी महिलाओं के लिए आरक्षण की बहस में कोई दम नहीं है. विधेयक के विरोधियों को बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल-यू के नेता नीतीश कुमार के समर्थन देने की घोषणा से झटका लगा है. तो केंद्र सरकार को राहत मिली है.

महिला आरक्षण बहुत जरूरी - जेटली :- राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा है कि देश के विधायी निकायों में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए आरक्षण बहुत जरूरी है. महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए जेटली ने मंगलवार को कहा, "जो लोग कहते हैं कि महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने के लिए आरक्षण की आवश्यकता नहीं है, वे गलत हैं. स्वतंत्रता के 63 वर्षों बाद भी आज लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व सिर्फ 10.7 फीसदी है. ऐसे में आरक्षण से ही महिलओं को उचित प्रतिनिधित्व मिल सकता है." जेटली ने कहा कि बीते कई वर्षों के बाद आज वह मौका आया है जब यह ऐतिहासिक विधेयक पारित किया जाएगा. यह अवसर सभी के लिए ऐतिहासिक और अद्भुत है. उन्होंने अन्य दूसरे देशों में महिला आरक्षण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महिला आरक्षण क्षेत्रों के आधार पर होना चाहिए.

लोकतंत्र की ह्त्या - कमाल अख्तर :- सदन से बाहर किये जाने के बाद सपा के कमाल अख्तर ने कहा कि यह लोकतंत्र की ह्त्या है. हमें अपने अधिकारों से वंचित किया गया. अख्तर ने कहा यह बिल मुसलमान, पिछडा वर्ग और दलित विरोधी है. उन्होंने सरकार पर जबरन बिल पास करने का आरोप भी लगाया.

महिला दिवस पर राष्ट्रिय शर्म :- अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर देश में सोमवार का दिन राज्यसभा में काला सोमवार लेकर आया जब केंद्र सरकार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम आगे बढाते हुए राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल तो पेश किया. लेकिन इस बिल के विरोधियों ने सदन की मर्यादा को तार-तार करते हुए बिल की प्रतियाँ फाड़ दीं. इसे महिला दिवस पर सबसे बड़ी शर्म ही कहा जायेगा कि सांसदों के हंगामेदार रवैये के कारण न तो इस पर बहस हो सकी और न ही वोटिंग कराई जा सकी. हंगामा इतना ज़बरदस्त था कि सांसदों ने सदन की मर्यादा को तार-तार कर दिया. महिला आरक्षण बिल पर मचे बवाल के कारण राज्‍यसभा को कई बार स्‍थगित किया गया. पहले बारह बजे, फिर दो बजे, और फिर तीन बजे के बाद अब राज्‍य सभा को चार बजे तक के लिए स्‍थगित कर दिया गया. लेकिन बाद में राज्यसभा की कार्यवाही आज तक के लिए स्थगित की गई थी.

बहरहाल भले ही महिला आरक्षण बिल को १४ सालों का इन्तेज़ार करना पड़ा लेकिन अंततः राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक पास हो गया. अब आगे यह उम्मीद भी लगाईं जा रही है कि आगे यह बिल लोक सभा में भी जल्द से जल्द पेश होगा और भारी बहुमत से पास भी होगा. इस बिल के पास होने के बाद महिलाओं में उत्साह का माहौल है. कुछ महिलाओं ने इसे आज़ादी के बाद महिलाओं के लिए सबसे बड़ा दिन करार दिया है. अब यह देखना होगा कि आने वाले समय में महिला आरक्षण बिल महिला सशक्तिकरण की दिशा में कितना कारगर साबित होगा.



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