October 10, 2009

ओबामा को नोबेल, क्या नोबेल पर भी राजनीति हावी ?

भोपाल (कमल सोनी) 10/अक्टूबर/2009 >>>> अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को वर्ष 2009 का शांति का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा लेकिन सबसे अहम् सवाल यह है कि अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी को नोबेल क्यों नहीं मिला जबकि ओबामा खुद महात्मा गांधी को "रियल हीरो" मानते है ओबामा को वर्ष 2009 का शांति का नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा से फिर एक नया विवाद उठ खडा हुआ है इससे पूर्व भी शांति के लिए दिए जाने वाले नोबेल पुरस्कार पर विवाद उठ चुके हैं वर्षो से इनकी चयन प्रक्रिया पर उंगली उठती रही है। यूं कहें कि शांति के नोबेल पुरस्कार और विवादों का चोली-दामन का साथ है तो गलत न होगा। ख़ास बात तो यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा स्वयं नोबेल शांति पुरस्कार के लिए उनके चयन पर ‘आश्चर्यचकित’ हैं और उन्हें इस पर संदेह है कि क्या वह इस सम्मान के हकदार हैं।
हैरत में डालने वाली एक ख़ास बात तो यह है कि अभी उन्हें पद संभाले हुए एक साल भी नहीं हुआ फिर एक साल में उन्होंने ऐसा क्या कर दिया कि उन्हें 2009 का शांति का नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा कर दी गई इसमें कोई दो मत नहीं कि ओबामा के प्रयास सराहनीय नहीं हैं नोबेल पुरस्कारों के लिए बनी निर्णायक समिति ने अपने बयान में कहा है कि बराक ओबामा को यह पुरस्कार देने का निर्णय उनके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक प्रयासों को विशेष गति देने के लिए किया गया है
इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए ओबामा के चुने जाने की खबर अमेरिकियों के साथ ही शेष विश्व के लोगों के लिए भी चौंका देने वाली ही है क्योंकि उनका नाम न तो संभावितों की सूची में कहीं था और न ही नोबेल शांति पुरस्कार के दावेदारों में उनके बारे में कोई अटकल थी। ओबामा ऐसे तीसरे पदस्थ राष्ट्रपति हैं जिन्हें यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला है। वर्ष 1906 में टी. रूजवेल्ट और 1919 में वूड्रो विल्सन को भी नोबेल शांति पुरस्कार मिल चुका है। वर्ष 2002 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर को भी यह पुरस्कार मिला था।
यहाँ एक ख़ास बात और गौर करने लायक यह है कि अमेरिका को भले ही कई लड़ाइयों के लिए दोषी ठहराया जाता रहा हो, लेकिन शांति के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वालों में सबसे आगे अमेरिकी ही हैं। 1901 में शुरुआत से अब तक करीब दो दर्जन अमेरिकियों को यह पुरस्कार मिल चुका है।
एक और रोचक तथ्य यह है कि ओबामा ने 20 जनवरी 2009 को अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में काम शुरू किया। नोबेल शांति पुरस्कार के नाम लेने की अंतिम तारीख 1 फरवरी 2009 थी। यानी 11 दिन के उनके कार्यकाल पर उन्हें विश्व में अमन स्थापित करने का सम्मान दे दिया गया! यही नहीं, निर्णायकों ने अपने वोट जून में दे दिए थे- यानी तब भी चार माह हुए थे ओबामा के उन प्रयासों को, जो किसी और को तो खैर दिखे तक नहीं, किन्तु नोबेल कमेटी को ‘असाधारण, अद्वितीय’ लगे। सम्मान की घोषणा वाले दिन तक भी वे नौ माह पुराने ही ‘शांति के क्रांतिकारी’ हैं।
अंततः अब हर आदमी के दिल में एक ही सवाल जन्म ले रहा है कि अब कहीं यह पुरस्कार राजनीति से प्रेरित तो नहीं हो गया ?
सन १९८० से शांति के लिए नोबल पुरस्कार विजेताओं की सूची :-
<><><> 2009: यूं एस प्रेसिडेंट बराक ओबामा
<><><> 2008: मर्त्ति आहतिसाड़ी
<><><> 2007: इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज, अल गोरे
<><><> 2006: मुहम्मद युनुस, ग्रामीण बैंक
<><><> 2005: इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेन्सी, मोहमद एल्बरादी
<><><> 2004: वंगारी माथाई
<><><> 2003: शिरीन एबादी
<><><> 2002: फोर्मेर यूं एस प्रेजिडेंट जिमी कार्टर
<><><> 2001: यूनाइटेड नेशन्स, कोफी अन्नान
<><><> 2000: किम डे-ज़ंग
<><><> 1999: मेडेसिंस साँस फ़्रन्तियरर्स
<><><> 1998: जॉन ह्युमे, डेविड त्रिम्ब्ल
<><><> 1997: इंटरनेशनल काम्पैन तो बैन लैंडमाइंस, जोडी विलियम्स
<><><> 1996: कार्लोस फिलिपे ज़िमेनेस बेलो, जोसे रामोस-होर्ता
<><><> 1995: जोसफ रोटब्लाट, पुगवाश कोंफ्रेंस ऑन साइंस एंड वर्ल्ड अफेयर्स
<><><> 1994: यासेर अराफात, शिमोन पेरेस, यित्ज्हक राबिन
<><><> 1993: नेल्सन मंडेला, ऍफ़.डब्ल्यू. दे क्लर्क
<><><> 1992: रिगोबेर्ता मंचू तुम
<><><> 1991: औंग सान सू क्यी
<><><> 1990: मिखाइल गोर्बाचेव
<><><> 1989: 14th दलाई लामा
<><><> 1988: यूएन पीसकीपिंग फोर्सेस
<><><> 1987: ऑस्कर अरिअस सांचेज़
<><><> 1986: एली विएसेल
<><><> 1985: इंटरनेशनल फिजिसियन फॉर द प्रिवेंशन ऑफ़ न्यूक्लियर वार
<><><> 1984: डेसमंड टूटू
<><><> 1983: लेक वालेसा
<><><> 1982: अल्वा मिर्डल, अलफोंसो गार्सिया रोब्ल्स
<><><> 1981: ऑफिस ऑफ़ द यूं एन हाई कमीश्नर फॉर रिफ्यूजी
<><><> 1980: अदोल्फो पेरेज़ एस्कुइवेल

1 comment:

THANTHANPAL said...

इस नोबल का पूरा श्रेय भारत को जाता है . हमारे कहनेसे भारतने पाकिस्थान पर हमल्ला नाही कीया. और इस तरह युद्ध का खतरा टल गया
और इसी वक्क्त मुझे नोबल पुरस्स्कार देना पक्का हो गया . नोबल का पूरा श्रेय भारत को जाता है . मै भारत के नेता का आभारी हूँ .
मै यह नोबल भारत को अर्पण करता हूँ.